जीवन के उपदेश
एक बार की बात है, सुकरात का एक शिष्य विवाह करने को लेकर दुविधा में था। उसने अपने मित्रों, परिजनों और वरिष्ठजनों से सलाह भी ली। सभी ने अपनी-अपनी राय दी, लेकिन उनमें इतनी भिन्नता थी कि शिष्य भ्रमित हो गया। समाधान के लिए वह अपने गुरु सुकरात के पास पहुंचा और उनसे पूछा, ‘गुरुदेव, क्या मुझे विवाह करना चाहिए?’ सुकरात मुस्कराए और बोले, ‘हां, तुम्हें विवाह अवश्य करना चाहिए।’ शिष्य ने आश्चर्य से पूछा, ‘पर गुरुदेव, आपकी पत्नी तो बहुत झगड़ालू हैं। फिर भी आप मुझे विवाह की सलाह क्यों दे रहे हैं?’ सुकरात ने हंसते हुए उत्तर दिया, ‘किसी भी परिस्थिति में विवाह करना तुम्हारे लिए घाटे का सौदा नहीं होगा। यदि तुम्हें अच्छी पत्नी मिलेगी, तो तुम्हारा जीवन आनंदमय हो जाएगा। तुम्हें खुशी और प्रेरणा मिलेगी, जिससे तुम्हारी प्रगति होगी। परंतु यदि तुम्हें मेरी जैसी पत्नी मिली, तो वह तुम्हारे जीवन में इतनी चुनौतियां लाएगी कि तुम समस्याओं को सुलझाने में पारंगत हो जाओगे। कालांतर में एक महान विचारक भी बन सकते हो।’
प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा