जीत के साथ ही होगा आंदोलन का समापन, खाली हाथ नहीं लौटेंगे घर
गुरुग्राम, 2 जनवरी (हप्र) : नूंह जिले के रोजकामेव आईएमटी में 9 गांवों की 1600 एकड़ भूमि में विकसित हो रही आईएमटी की जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 10 महीने से धरने पर बैठे किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बृहस्पतिवार को उपायुक्त नूंह विश्राम कुमार मीणा के साथ बैठक हुई। किसानों के विरोध के चलते आईएमटी सोहना में विकास कार्य बंद है।
भाकियू युवा प्रदेशाध्यक्ष नेता रवि आजाद ने कहा कि मौजूदा डीसी से कमेटी की पहली मीटिंग हुई है। ठीक माहौल में बातचीत हुई है। जो भी हमारी मांगें हैं, उनसे डीसी को अवगत करवाया है।
किसानों की मुख्य मांग है कि उनसे धोखे से करवाया गया एग्रीमेंट रद्द किया जाए, 25 लाख रुपए मुआवजा किसानों को ब्याज सहित दिया जाए, लगभग एक दर्जन मांगें गांव के विकास की हैं। इन सभी मांगों को लेकर उपायुक्त से विस्तार पूर्वक बातचीत हुई है और सहमति यह बनी है कि 15-20 दिन के अंदर एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों के साथ किसानों की मीटिंग करवाई जाएगी ।
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का समापन किसानों की जीत के साथ ही होगा, समय चाहे कितना भी क्यों न लगे । किसान खाली हाथ लौटकर घर नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि बीते दिनों नूंह लघु सचिवालय में हुई कमेटी की बैठक में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर ने बयान दिया था कि किसानों को धरने से हटाया जाए, जिसको लेकर किसान बेहद नाराज हैं। कैबिनेट मंत्री राव नरबीर को किसानों ने कहा कि अहंकार की भाषा ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता है तो मंत्री किसानों की पीड़ा सुनते और किसानों की मीटिंग मुख्यमंत्री के साथ खुद करवाते।
25 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मिला था मुआवजा
किसान नेताओं के मुताबिक वर्ष 2010 में अधिग्रहण का मुआवजा 25 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से दिया गया था। उसी समय बल्लभगढ़, फरीदाबाद जिले के 5 गांवों मच्छगर, चदांवली, मुजेडी, नवादा, सौतई की जमीन आईएमटी के लिए अधिग्रहीत हुई थी, जिसका मुआवजा भी 25 लाख रुपए प्रति एकड के हिसाब से दिया गया था। उन गांववासियों ने मुआवजा राशि कम समझकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया तो कुछ दिन बाद सरकार ने उनकी मांग मान ली और मुआवजा 21 लाख रुपए और बढ़ाकर 46 लाख रुपए प्रति एकड़ कर दिया। जब आईएमटी रोजका मेव में लगने वाले 9 गांवों के किसानो को पता चला तो रोजका मेव के किसानों ने कम मुआवजे के विरोध में धरना शुरू कर दिया जो लगभग 18 माह तक चला। उसके बाद सरकार किसानों के पास आई। इसमें किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच मुआवजा राशि 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात हुई और सरकार ने मुआवजा राशि देने से पहले 9 गांवों के भोले भाले और अनपढ़ किसानों से एक इकरारनामा पर हस्ताक्षर व अंगूठा कराकर 46 लाख रुपए में से 21 लाख रुपए दिया। जब किसानों के सामने यह बात आई तो किसान दोबारा साल 2013 से धरने पर बैठ गए।