जात-पात पे लात का राजनीतिक नवाचार
दिनेश विजयवर्गीय
मुंशी आज एक सप्ताह बाद मॉर्निंग वॉक में मिला। मुझे पार्क की बैंच पर बैठा हुआ देख, लातें उछालता मेरी ओर बढ़ने लगा। उसके इस आचरण से मैं भी सकते में आ गया। आखिर सहज भाव से जीवन जीने वाले मुंशी को यह क्या खुराफात सूझी? जब मेरे पास आया तो मैंने पूछ ही लिया ‘मुंशी! आज यह नया क्या कुछ कर रहे हो? आज तुम जैसे मॉर्निंग वॉक और योग करने वाले को यह क्या सूझी कि लातें उछाल रहे हो? क्या किसी पर लातें बरसाने का अभ्यास कर रहे हो?’
वह हंसता हुआ बोला, ‘अंकल! जिस जात-पात पर देश का लोकतंत्र टिका है, उसी पर कोई प्रहार करे तो अजब-सा लगेगा ही। देखिए, राजनीति में जनता का मत प्राप्त करने के लिए अन्य विशेषताओं के साथ जात-पात के आधार पर टिकट वितरण करने का भी ध्यान रखा जाता है। भले पार्टी कहती रहे न जात पर न पात पर...! पर सच तो यह है कि वह भी जात गंगा में डुबकी लगा तर जाने की संभावना बनाये रखते हैं। हमारे यहां तो आरक्षण का आधार ही जात-पात है। पर इन सबके चलते भी कोई वरिष्ठ नेता यह कहने लगे, जो करेगा जात की बात, उसको कसकर मारूंगा लात। तो फिर समझ लीजिए उनका चिंतन।
लगता है वे लोकतंत्र को जात-पात से दूर रखकर उसे ऊपर उठाना चाहते हैं। सच्चे जन सेवक बन जन-मन में अपनी छवि सुंदरतम् बनाना चाहते हैं। इसलिए मैं भी लात उठाने की प्रैक्टिस कर रहा हूं, पता नहीं कब, कहां काम आ जाए? आखिर लात मार कर ही तो कई शाकाहारी जीव मांसाहारी हिंसक जीवों से अपने जीवन की सुरक्षा करने का प्रयास करते हैं। यही सब सोच मैं भी अब इसकी प्रैक्टिस में तल्लीन हूं। इससे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कई लाभ हैं। पैरों में कभी सुन्नता नहीं आएगी और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर बना रहेगा। मैं धन्यवाद देता हूं नेताजी को जिन्होंने जात-पात की बात करने वालों को हाशिए में धकेलने जैसी बात कह दी। कुछ समय पहले अंकल आपको याद होगा कि एक मंत्री जी ने भी कहा था कि ‘जो पैर छूएगा उसके काम की सुनाई नहीं होगी। सभी अपने-अपने नवाचार कर अपनी अलग पहचान बनाने में लग रहे हैं।’
वाह भाई मुंशी! तुमने तो अपने समाचारों में से बड़ी मजेदार लोकतंत्रीय स्वस्थ परंपरा बनाए रखने वाली बातें सुना दीं।’ ‘अंकल! देखो लोकतंत्र को और अधिक बढ़िया और जनाकूल बनाने के लिए कब कौन-सा नेता क्या कुछ नवाचार कर बैठे, कुछ कह नहीं सकते, बस इंतजार करते रहिए।’ इतना कह मुंशी एकदम उठा और घर की ओर चल दिया। उसके राजनीति में नवाचार की बात सुनकर, देर तक चिंतन करता रहा।