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जमीन विवादों का वैज्ञानिक समाधान की ओर बड़ा कदम : खेरी कलां में डिजिटल मैपिंग आधारित रोवर्स तकनीक का प्रदर्शन

06:00 AM May 11, 2025 IST
जमीन विवादों का वैज्ञानिक समाधान की ओर बड़ा कदम   खेरी कलां में डिजिटल मैपिंग आधारित रोवर्स तकनीक का प्रदर्शन
फरीदाबाद में जमीन सीमांकन की नई तकनीक का डेमो देखते मंत्री विपुल गोयल व डीसी विक्रम सिंह।   -हप्र
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फरीदाबाद, 10 मई (हप्र)

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हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, शहरी स्थानीय निकाय और नागरिक आपूर्ति मामलों के मंत्री विपुल गोयल ने आज फरीदाबाद के खेड़ी कलां में भूमि सीमांकन के लिए अत्याधुनिक रोवर्स तकनीक का डेमो लिया। मौके पर डीसी विक्रम सिंह समेत प्रशासन के सभी अधिकारी मौजूद रहे। यह पहल हरियाणा सरकार द्वारा मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में सर्वे ऑफ इंडिया के सहयोग से शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत भूमि सीमांकन को पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक डिजिटल तकनीक पर आधारित किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 300 रोवर्स मशीनों की खरीद को मंजूरी दी है।

मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि भूमि विवाद लंबे समय से आम जनता के लिए चिंता का विषय रहे हैं। रोवर्स तकनीक के माध्यम से अब सीमांकन वैज्ञानिक व पारदर्शी ढंग से होगा, जिससे राज्य में भूमि विवादों का स्थायी समाधान संभव होगा। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से राज्य की शामलात भूमि की भी सटीक पैमाइश संभव होगी, जिससे राजस्व की हानि रोकी जा सकेगी और संपत्ति के रिकॉर्ड सुव्यवस्थित होंगे। गोयल ने जानकारी दी कि राज्य भर में पटवारियों और कानूनगो को इस तकनीक के उपयोग हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वे आधुनिक तकनीक के साथ कार्य कुशलता से कर सकें।

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डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि पूर्व में भूमि का डिमार्केशन करने के लिए पटवारी चेन का इस्तेमाल कर जमीन की सीमा निर्धारित करते थे। अब हरियाणा में जमीन के सीमांकन के लिए सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वे सहित आधुनिक तकनीक अपनाई जा रही है। रोवर आधारित डिजिटल मैपिंग से प्रॉपर्टी के लेन.देन और जमीन के दाखिल.खारिज की प्रक्रिया आसान होगी, साथ ही बैंक लोन और आमजन को सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी। इस कार्य के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं पटवारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

यह है रोवर्स तकनीक
रोवर एक आधुनिक उपकरण है, जो उपग्रह आधारित डिजिटल मैपिंग के माध्यम से अत्यंत सटीक और तेज भूमि सीमांकन करता है। इससे पारंपरिक विधि की तुलना में अधिक पारदर्शी, विवादमुक्त और भरोसेमंद परिणाम मिलते हैं। इस तकनीक से संपत्ति से जुड़े विवादों, म्यूटेशन, बैंक ऋण एवं सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इस तकनीक के उपयोग से न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया में तेजी आएगी बल्कि राज्य सरकार की डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।

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