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‘जब साहित्य कमजोर होगा तो समाज में अनाचार बढ़ेगा’

05:38 AM Feb 21, 2025 IST
‘जब साहित्य कमजोर होगा तो समाज में अनाचार बढ़ेगा’
मोहाली के सीजीसी में बृहस्पतिवार को साहित्यम 2025 कार्यक्रम में डॉ. संत राम देशवाल और अन्य पैनलिस्ट। -निस
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मोहाली, 20 फरवरी (निस)
सीजीसी झंजेड़ी में आयोजित ‘साहित्यम 2025’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. संत राम देशवाल ने ‘डिजिटल युग में साहित्य की उपयोगिता’ विषय पर मुख्य भाषण दिया। हाल ही में पद्मश्री 2025 के लिए चयनित डॉ. देशवाल ने छात्रों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। इस चर्चा में अदाकार एवं गायक गजेंद्र फोगाट, रिपब्लिक भारत की ज्योत्सना बेदी और दिल्ली के कंटेंट राइटर विपिन सोनी भी शामिल रहे।
डॉ. देशवाल ने कहा कि डिजिटल क्रांति के बावजूद साहित्य की प्रासंगिकता बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाला दर्पण है। जब-जब साहित्य कमजोर होता है, तब समाज में असंतुलन बढ़ता है।’
उन्होंने बताया कि पारंपरिक रूप से साहित्य गहरी सोच और धैर्य की मांग करता था, जबकि डिजिटल युग गति और संक्षिप्तता को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा, ‘यह बदलाव केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। हमें डिजिटल माध्यमों को साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अपनाना चाहिए।’
डॉ. देशवाल ने क्षेत्रीय भाषाओं और साहित्य के संरक्षण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, संस्कृति का वाहक भी होती है।’ इसलिए शिक्षा प्रणाली में क्षेत्रीय साहित्य को केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव की तरह प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
उन्होंने डिजिटल साहित्य के बढ़ते प्रभाव को सकारात्मक रूप में देखते हुए कहा कि ई-पुस्तकें, ऑडियोबुक और सोशल मीडिया साहित्य को व्यापक रूप में लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल युग ने साहित्य को नई ऊंचाई दी है। लेखकों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी कहानियों को इस रूप में प्रस्तुत करें कि वे हर माध्यम में प्रभावी बनी रहें।’
उन्होंने लेखकों से आह्वान किया कि वे अपने लेखन में संतुलन बनाए रखें और समाज को जोड़ने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि साहित्य केवल अतीत का दस्तावेज नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का माध्यम भी है।

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