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जज का बेटा अब नहीं बन पायेगा जज, ‘नो एंट्री’ की तैयारी

05:00 AM Dec 31, 2024 IST
सुप्रीम कोर्ट।

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (एजेंसी)

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाई कोर्टों में जजों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर सकता है। बताया जाता है कि यह प्रस्ताव एक वरिष्ठ जज ने पेश किया है और अगर इस पर अमल किया जाता है, तो न्यायिक नियुक्तियों में अधिक समावेशिता आ सकती है और इनमें योग्यता के मुकाबले परिवार को तरजीह दिए जाने की धारणा को बदला जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट कॉलेजियम को यह निर्देश देने पर विचार कर सकता है कि वे ऐसे उम्मीदवारों की सिफारिश करने से बचें, जिनके माता-पिता या करीबी रिश्तेदार या तो मौजूदा समय में शीर्ष अदालत या हाई कोर्टों के जज हैं या फिर अतीत में रह चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि हालांकि, इस ‘नो एंट्री’ के प्रस्ताव से कुछ योग्य उम्मीदवारों से शीर्ष अदालत या हाई कोर्टों का जज बनने का मौका छिन सकता है, लेकिन यह पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए अवसरों के द्वार खोलेगा और संवैधानिक अदालतों में विविध समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ाएगा।

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शीर्ष अदालत में जज के लिए नामों की सिफारिश करने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस अभय एस ओका पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा हैं, जो हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति के लिए नामों का चयन और सिफारिश करता है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में उन वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत संवाद शुरू किया है, जिनके नाम की सिफारिश हाई कोर्टों में पदोन्नति के लिए की गई है। यह पहल उस पारंपरिक पद्धति से अलग है, जिसके तहत बायोडाटा, लिखित आकलन और खुफिया रिपोर्ट पर विचार किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक 22 दिसंबर को हुई थी। इसमें राजस्थान, उत्तराखंड, बंबई और इलाहाबाद के हाई कोर्टों में जज पद पर नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को लगभग छह नामों की सिफारिश की गई थी। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव से जुड़े विवाद के बाद व्यक्तिगत संवाद को फिर से शुरू करने की कवायद जोर पकड़ती दिख रही है।

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