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चरचा हुक्के पै

04:13 AM Jan 13, 2025 IST

बर्फ के दर्शन
अपने ‘दाढ़ी’ वाले बाबा पिछले दिनों बर्फ के दर्शन कर आए। आमतौर पर ऐसे भ्रमण पर कम ही निकलते हैं, लेकिन इस बार परिवार के साथ मनाली की हसीन वादियों में पहुंचे। बात चाहे कोविड-19 के दौरान की हो या फिर किसी अन्य आपदा या बीमारी की, बाबा अकेले ऐसे शख्स हैं, जो नियमित रूप से चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सिविल सचिवालय में पहुंचे। कोविड के दिनों में जब अधिकांश मंत्री और पूरी सरकार ऑनलाइन काम निपटा रही थी तो बाबा तब भी सचिवालय आया करते थे। बाबा खुद तो ‘अकेले’ हैं, लेकिन भाइयों के परिवार के साथ उनका बहुत प्यार है। नाती-पोतों के साथ उनका लगाव किसी से छुपा नहीं है। माना जा रहा है कि छोटे बच्चों की जिद ही बाबा को मनाली तक लेकर गई। वहां बर्फ में परिवार सहित बाबा ने फोटोग्राफी भी करवाई लेकिन बाबा का ‘गब्बर’ स्टाइल वहां भी नजर आया। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में उनके नाम का ‘डर’ हमेशा दिखाई और सुनाई देता है। खैर, अच्छा ही है रोजाना की भागदौड़ के बीच बाबा ने अपने लिए भी कुछ वक्त तो निकाला।

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काका की सक्रियता
हरियाणा में करीब साढ़े नौ वर्षों तक सत्ता का केंद्र रहे ‘काका’ अब भी पूरी तरह से सक्रिय हैं। हरियाणा में उनकी सक्रियता और प्रभाव किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है। केंद्रीय मंत्रालय में हैवीवेट मंत्रालयों को संभाल रहे ‘काका’ नई शुरुआत के लिए भी जाने जाते हैं। हरियाणा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे नये फैसले लिए, जिनकी गूंज दूर तक सुनाई दी। यह भी कहें कि प्रदेश में भाजपा को लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता दिलाने में ‘काका’ के फैसलों ने भी अहम भूमिका निभाई तो अतिश्ायोक्ित नहीं होगी। काका अपने मंत्रालयों से जुड़े कार्यों के लिए दिल्ली में बैठकर बैठकें करना पसंद नहीं करते। उनका काम करने का अपना स्टाइल है। इसलिए वह राज्यों में जाकर ही वहां के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों व अन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं। इसका फायदा यह भी होता है कि फैसलों को सिरे चढ़ाने में होने वाली देरी से निजात मिल जाती है। हरियाणा चूंकि दिल्ली के नजदीक है, इसलिए काका प्रदेश के प्रोजेक्ट्स को लेकर कभी दिल्ली तो कभी चंडीगढ़ में आसानी से बैठकें कर लेते हैं। इसी कड़ी में पिछले दिनों भी उन्होंने चंडीगढ़ में सीएम सहित आला अधिकारियों के साथ अहम बैठक की।

मां-बेटी करेंगी प्रचार
लम्बे समय तक नई दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहीं ‘बहनजी’ के अनुभवों का फायदा अब भाजपा उठाएगी। दिल्ली विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की ड्यूटी दिल्ली के चुनावों में लगी है। 100 से अधिक नेताओं द्वारा दिल्ली में मोर्चा संभाला जाएगा। इनमें से कई अभी से दिल्ली में एक्टिविटी बढ़ा चुके हैं। राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के साथ भाजपा ने उनकी बेटी व नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी की भी दिल्ली चुनाव में ड्यूटी लगाई है। ऐसे में मां-बेटी दिल्ली चुनावों में प्रचार करती नज़र आएंगी। किरण चौधरी दिल्ली की राजनीति में बरसों तक एक्टिव रहीं। वह दिल्ली विधानसभा की डिप्टी स्पीकर भी रह चुकी हैं। ऐसे में उनका दिल्ली में प्रभाव भी रहा है। सो, भाजपा अब उनके प्रभाव का फायदा उठाना चाहती है। इसीलिए दूसरे नेताओं के साथ किरण की भी विशेष तौर पर दिल्ली में प्रचार के लिए ड्यूटी लगाई है।

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सक्रियता का इनाम
कांग्रेस से भाजपा में आए पंचकूला निवासी तरुण भंडारी की राजनीतिक सक्रियता का इनाम पार्टी ने उन्हें दिया है। भंडारी को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का राजनीतिक सचिव नियुक्त किया गया है। इस पद पर कई पूर्व मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं की नजरें थी। लेकिन पार्टी और सरकार ने पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनावों में दूसरे नेताओं में सेंधमारी करने वाले तरुण पर भरोसा जताया है। अशोक तंवर, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, नवीन जिंदल, निखिल मदान सहित कई ऐसे बड़े चेहरे हैं, जिन्हें भाजपा में ज्वाइन कराने में तरुण भंडारी की किसी न किसी रूप में अहम भूमिका रही। पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के नजदीकियों में शामिल तरुण की चुनावी मैनेजमेंट की वजह से भी उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है। दूसरे राज्याें के भी कई नेताओं की भाजपा में उनके जरिये एंट्री हुई। माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें राजनीतिक सचिव नियुक्त किया है, ताकि आगे भी वह राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें।

दोनों के करीबी अत्रे
मनोहर सरकार में प्रवीण अत्रे को मुख्यमंत्री का मीडिया सचिव नियुक्त किया गया था। इसके बाद नायब सरकार के पहले कार्यकाल में भी वह अपने पद पर बने रहे। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में उनके जरिये ही पार्टी ने मीडिया प्रबंधन किया। इनेलो छोड़कर भाजपा में आए प्रवीण अत्रे मनोहर लाल के साथ-साथ अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के भी करीबी हो गए हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें एक बार फिर से सीएम के मीडिया सचिव का जिम्मा सौंपा है। मिलनसार अत्रे की खूबी यह है कि वह कभी किसी विवाद में भी नहीं पड़े। सभी को साथ लेकर चलने की उनकी काबिलियत और कार्यशैली की वजह से ही उन्हें पार्टी ने सरकार में यह जिम्मेदारी दी है।

काम आया संघ का प्रभाव
सोनीपत निवासी वीरेंद्र बड़खालसा की संघ पृष्ठभूमि उनके काम आई है। उन्हें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का ओएसडी (विशेष कार्यकारी अधिकारी) नियुक्त किया है। पुराने संघ परिवार से जुड़े वीरेंद्र मनोहर सरकार के समय से ही इस पद पर बने हुए हैं। अब नायब सरकार में लगातार दूसरी बार उनकी नियुक्ति हुई है। माना जा रहा है कि संघ के कार्यों का जिम्मा उन्हें विशेष रूप से सौंपा गया है। हरियाणा सिविल सचिवालय में आठवीं मंजिल पर स्थित उनके कार्यालय में अकसर संघ और भाजपा पदाधिकारियों के अलावा आम कार्यकर्ताओं की भी भीड़ लगी रहती है।

बढ़ गया इंतजार
हरियाणा में आठ नगर निगमों – फरीदाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, रोहतक, करनाल, यमुनानगर, पानीपत व हिसार के चुनाव काफी समय से लंबित हैं। इनमें कई निगम तो ऐसे हैं, जिनका कार्यकाल पूरा हुए दो साल होने को हैं, लेकिन चुनाव नहीं हो रहे हैं। मेयर का चुनाव डायरेक्ट होना है। ऐसे में मेयर का चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता लम्बे समय से प्रचार में जुटे हैं। जनवरी के आखिरी सप्ताह में चुनाव होने की उम्मीद थी, लेकिन अब नई दिल्ली विधानसभा चुनावों की वजह से थोड़ी और देरी हो सकती है। ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं का इंतजार बढ़ गया है।
-दादाजी

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