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चंद शब्दों में जीवन के छंद

11:35 AM May 28, 2023 IST

केवल तिवारी

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जीवन एक सफर है। इस सफर में प्रेरक चीजें हैं। ‘सच और झूठ’ का साया है। कुछ ‘खास दोस्त’ होते हैं। साल के 365 दिनों की मानिंद सैकड़ों मनोभाव दिल में आते हैं। जीवन पथ पर खुशी और गम हैं। कई ‘फैसले’ लेने पड़ते हैं। कई त्योहार आते हैं। ‘बहन की राखी’, है। परिवार की ‘दिवाली’ है। व्यथा है। कर्तव्य हैं। ‘लाभ और लोभ’ है। जीवन की इन गूढ़ बातों को चंद पंक्तियों में कविताओं के माध्यम से पिरोने का अद्भुत काम किया है, कवयित्री सतिंदर कौर गिल ने अपनी किताब ‘जीवन मंथन’ में। अलग-अलग शीर्षकों से बुनी हुई कविताओं के चंद अल्फाज देखिए- ‘एक अजीब सी खुशी से आंखें मेरी चमकने लगी। मेरी बेटी बड़ी हो गई उसकी प्रेरणा भरी आवाज मेरे कानों में खनकने लगी। ‘

चार पंक्तियां और देखिए- ‘विश्वास के पास आंखें नहीं हैं। वह तो अंधा होता है। जहां आंखें काम करती हैं, वहां विश्वास रहने से डरता है।’ मां शीर्षक से लिखी कविता की चार पंक्तियां देखिए- ‘जवानी में उसके पास बीमार होने का कहां समय था। हर पल घर की परेशानियों में बस उसका मन रमा था।’ फौजी का बहन को पत्र नामक कविता में सतिंदर कौर गिल लिखती हैं, ‘अगले बरस में आऊंगा। हर बरस की राखी गिन गिन कर पूरे हाथ पर बंधवाऊंगा।’

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‘जीवन मंथन’ नामक इस किताब में अनेक कविताएं हैं। कहीं पर तंज है, कहीं सीख है और कहीं सामान्य बात है जो बड़ी सीख देती है। सतिंदर कौर की यह किताब सहज, सरल और छोटे-छोटे शब्दों में बड़ी-बड़ी बातों को समेटे हुए है।

पुस्तक : जीवन मंथन (काव्य संग्रह) कवयित्री : सतिंदर कौर गिल प्रकाशक : जोहरा पब्लिकेशन, पटियाला पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 180.

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