चंदेल ने किया 'चमत्कार', पहाड़ की तलहटी में लगाया ऑर्गेनिक सब्जी का बाग
गौरतलब है कि नांगल चौधरी संभाग में सिंचाई के पानी की कमी है। भूजल स्तर के पाताल में चले जाने से सरकार ने भी इस पूरे क्षेत्र को डार्कजोन घोषित किया हुआ है। यहां तक कि गांव में पीने के पानी की भी किल्लत रहती है, लेकिन इस सबके बावजूद धुन के पक्के ख्यालीराम ने पहाड़ की तलहटी में करीब एक एकड़ रकबे पर बाग और सब्जी लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने बगीचे की सिंचाई के लिए कृषि बोरवेल से पाइपलाइन दबाने का प्रयास किया, लेकिन ऊंचाई ज्यादा होने के कारण पानी नहीं चढ़ पाया। इसके बाद पहाड़ पर एक टंकी का निर्माण करवाया। इसमें टैंकरों से पानी भरवाया। ख्यालीराम ने टंकी से पाइप जोड़कर बागवानी में ड्रिप फव्वारा सिस्टम लगाया। इस तकनीक से सिंचाई भी अच्छी होती है और पानी का खर्च भी ज्यादा नहीं होता। कृषि विभाग की सलाह अनुसार बागवानी में आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल किया। इस खाद से पौधों की ग्रोथ और फुटाव तेजी से होता है व फल भी अच्छे आते हैं। दो साल से उनकी इस बागवानी में उत्पादन शुरू हो गया है।
क्या कहता है कृषि विभाग
कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से फसल को बार-बार सिंचाई की जरूरत होती है। जबकि आॅर्गेनिक खाद में सभी खनिज प्रचूर मात्रा में होते हैं। इसकी मदद से पौधों को ग्रोथ में मदद मिलती है और जड़ों तक नमी बनी रहती है। देसी खाद से तैयार अनाज या सब्जी पौष्टिक होने के साथ स्वादिष्ट भी होती है। देसी खाद को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने विशेष मुहिम चलाई है।