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चंडीगढ़ में बढ़ाए गए प्रॉपर्टी टैक्स में की कटौती

05:00 AM Apr 24, 2025 IST
चंडीगढ़ में बढ़ाए गए प्रॉपर्टी टैक्स में की कटौती
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एस अग्निहोत्री/हप्र
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 23 अप्रैल
केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ प्रशासन ने शहरवासियों को बड़ी राहत देते हुए प्रॉपर्टी टैक्स की दरों में संशोधन किया है। स्थानीय निकाय विभाग की अधिसूचना के अनुसार, वाणिज्यिक, औद्योगिक, संस्थागत और आवासीय संपत्तियों पर लागू टैक्स दरों को कम कर दिया है। यह संशोधन पंजाब नगर निगम अधिनियम, 1976 की धारा 90(3) के तहत किया गया है, जिसे चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किया गया है। यूटी के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने आम लोगों और जनप्रतिनिधियों के साथ चर्चा के बाद प्रापर्टी टैक्स के रेट में कटौती की है।
वाणिज्यिक और औद्योगिक संपत्तियों पर अब सालाना किराए योग्य मूल्य का 5 प्रतिशत टैक्स लिया जाएगा, जो पहले 6 प्रतिशत था। आवासीय संपत्तियों पर अब चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा पहले से तय दरों का दो गुना टैक्स लगेगा, जबकि पहले तीन गुना दर लागू थी। इसके अलावा, विभिन्न सेक्टरों और क्षेत्रों के लिए आवासीय संपत्तियों पर भी संशोधित टैक्स दरें अधिसूचित की गई हैं। ऐसे समझें : सेक्टर 1 से 19 और 26 से 28 तक के क्षेत्रों में अब खाली प्लॉट पर 5रुपये प्रति वर्ग गज और बने हुए क्षेत्र पर 2.50 रुपये प्रति वर्ग फुट टैक्स लगेगा। अन्य क्षेत्रों जैसे सेक्टर 39 से 56 एवं अन्य में खाली प्लॉट पर 3 रुपये प्रति वर्ग गज और बने हुए क्षेत्र पर 1.50 रुपये प्रति वर्ग फुट टैक्स लिया जाएगा। 500 वर्ग फुट या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सीएचबी फ्लैट्स व सहकारी समितियों के फ्लैट्स पर टैक्स दर 3 से घटाकर 2 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति वर्ष कर दी गई है।
पुराना टैक्स जमा करने वालों को राहत : जिन संपत्ति मालिकों ने 31 मार्च 2025 की अधिसूचना के अनुसार पहले ही टैक्स जमा कर दिया है, उनके द्वारा अधिक राशि का समायोजन आगामी वर्षों में किया जाएगा।

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कांग्रेस के अंदोलन से आया प्रशासन बैकफुट पर : लक्की
चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बड़े हुए प्रॉपर्टी टैक्स को पूरी तरह वापस लेने की मांग करती है क्योंकि यह बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए और जनभावना के खिलाफ मनमाने ढंग से बढाया गया था। यह कटौती भी चंडीगढ़ कांग्रेस और आम जनता द्वारा लगातार बनाए गए दबाव के कारण हुई है। कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार किए जा रहे आंदोलन के कारण भाजपा और चंडीगढ़ प्रशासन बैकफुट पर आ गया था।

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