चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार पदनाम परिवर्तन पर गरमाई सियासत
एस.अग्निहोत्री/ हप्र
पंचकूला, 8 जनवरी
चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार के पद को मुख्य सचिव के रूप में परिवर्तित किये जाने पर सियासत गरमा गई है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल इसके विरोध में आ गए हैं। उनका तर्क है कि यह फैसला पंजाब के अधिकारों पर डाका डालने जैसा है। साथ ही हरियाणा के नेताओं ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
आप सांसद मालविंदर सिंह कंग ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। चंडीगढ़ से जुड़े किसी भी फैसले से पहले केंद्र सरकार को पंजाब सरकार से एक बार सलाह जरूर लेनी चाहिए। अकाली नेता सुखबीर बादल ने कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब के उचित दावे को और कमजोर करने के लिए यह भारत सरकार का एक और भेदभावपूर्ण कदम है। सांसद और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था खत्म करके यूटी काडर के अधिकारियों की नियुक्ति की अधिसूचना और उस पर मुख्यमंत्री नायब सैनी की चुप्पी पर हमला बोला है। वहीं, इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा ने कहा कि चंडीगढ़ के मुख्य सचिव के पद पर हरियाणा का हक बनता है। 2005 तक चंडीगढ़ में हरियाणा को हिस्सा मिलता रहा लेकिन उसके बाद केंद्र में कांग्रेस और अब बीजेपी की सरकार के दौरान हरियाणा का हिस्सा लगातार कम कर दिया गया।
पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार को मुख्य सचिव के पद पर पुन: नियुक्त करने के मोदी सरकार के हालिया फैसले की कड़ी निंदा की। बाजवा ने कहा कि यह पंजाब की स्थिति को कमजोर करने और पंजाबी समुदाय को हाशिए पर डालने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।