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गुरु द्रोण की जन्मभूमि पर छिड़ा चुनावी महाभारत, कांटे की टक्कर

11:39 AM Sep 25, 2024 IST
शीतला माता मंदिर गुरुग्राम

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
गुरुग्राम, 24 सितंबर
गुरु द्रोणाचार्य और माता शीतला की धरती पर इस बार बड़ी चुनावी ‘महाभारत’ छिड़ी है। गुरुग्राम की चारों विधानसभा सीटों पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इन चारों विधानसभा सीटों – गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना और पटौदी का अपना राजनीतिक और आर्थिक महत्व है। ये सभी सीटें शहरी मानी जाती हैं। सोहना और पटौदी के अलावा, बादशाहपुर में भी गांव हैं, लेकिन मिलेनियम सिटी से डायरेक्ट कनेक्ट होने की वजह से गांव भी शहरों से कम नहीं हैं। गुरुग्राम इंटरनेशनल मैप पर चुनिंदा साइबर सिटी में मौजूद है। कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के मुख्यालय गुरुग्राम में हैं, जो इसे एक बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाते हैं। यहां हरियाणा के अलावा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, और बिहार सहित देशभर के विभिन्न राज्यों के लोग रहते हैं। पहले इस जिले का नाम गुड़गांव था, लेकिन मनोहर सरकार ने गुरु द्रोणाचार्य के नाम को ध्यान में रखते हुए इसका नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया। हालांकि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में आज भी यह गुड़गांव लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस बार चारों सीटों पर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है। राष्ट्रीय राजधानी – नई दिल्ली के नजदीक होने के कारण केंद्रीय नेताओं का यहां पूरा दखल रहता है। टिकट आवंटन में स्थाई इकाई से अधिक केंद्रीय नेताओं की सिफारिश को महत्व मिला है। भाजपा ने तीन पूर्व विधायकों को टिकट दिया है, जिनकी टिकट 2019 के चुनावों में कट गई थी।
बादशाहपुर सीट को छोड़कर तीनों हलकों में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से टिकट दिए गए हैं, जिससे यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गया है। सोहना में तेजपाल तंवर, पटौदी में बिमला चौधरी और गुरुग्राम में मुकेश शर्मा को राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से टिकट दिया गया है। वहीं, कांग्रेस ने 2019 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले मोहित ग्रोवर पर दांव खेला है। यह सीट भाजपा के बागी नवीन गोयल ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है। टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे नवीन गोयल ने भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। उनके कारण गुरुग्राम में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। बादशाहपुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है। 2019 में उनकी टिकट कट गई थी, माना जा रहा है कि तब राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते ऐसा हुआ था। इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दखल के बाद राव नरबीर सिंह को टिकट मिला है। यहां से पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के दो बार ओएसडी रहे जवाहर यादव भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन राव नरबीर सिंह के मैदान में आने के बाद उनके नाम पर चर्चा तक नहीं हुई। वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे वर्द्धन यादव को टिकट दिया है, जो भाजपा के राव नरबीर सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2019 में बादशाहपुर से भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को शिकस्त देकर निर्दलीय विधायक के तौर पर विधानसभा पहुंचे राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी राकेश दौलताबाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। हालिया लोकसभा चुनावों में राकेश दौलताबाद की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। पहले चर्चा थी कि भाजपा या कांग्रेस में से कोई भी पार्टी उन्हें उम्मीदवार बना सकती हैं, लेकिन दोनों के प्रत्याशी आने के बाद कुमुदनी ने पंचायत के फैसले से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। वे बादशाहपुर के चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही हैं।

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सोहना में सभी दलों के गुर्जर चेहरे

इस बार सोहना की सीट पर अधिकांश राजनीतिक दलों ने गुर्जर चेहरों पर दांव लगाया है। भाजपा ने पूर्व विधायक तेजपाल तंवर को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने 2019 में यहां से जननायक जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहे रोहतास खटाना को उम्मीदवार बनाया है। बसपा-इनेलो गठबंधन से सुंदर भड़ाना, जजपा-एएसपी गठबंधन से विनेश गुर्जर, और आम आदमी पार्टी से धर्मेंद्र खटाना चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, जावेद अहमद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ग्राउंड पर वर्तमान में सोहना सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। भाजपा के तेजपाल तंवर, कांग्रेस के रोहतास खटाना, और निर्दलीय जावेद अहमद के बीच भिड़ंत हो रही है। बसपा-इनेलो और जजपा-एएसपी गठबंधन का प्रभाव नजर नहीं आ रहा।

राज बब्बर ने डाला था प्रभाव : हालिया लोकसभा चुनावों में गुड़गांव पार्लियामेंट सीट से फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद राज बब्बर ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। राज बब्बर ने केंद्रीय मंत्री व गुड़गांव से चौथी बार चुनाव लड़ रहे राव इंद्रजीत सिंह को चुनौती दी थी। राज बब्बर ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था। सेलिब्रिटी होने का उन्हें फायदा भी हुआ। जिस गुड़गांव की सीट पर राव इंद्रजीत सिंह की जीत तय मानी जा रही थी, उस सीट को राज बब्बर ने फंसा दिया था। आखिर में राव इंद्रजीत सिंह 75 हजार मतों से चुनाव जीत पाए। अब विधानसभा चुनाव में भी राज बब्बर सक्रिय हो चुके हैं और उन्होंने गुरुग्राम में कांग्रेस के लिए प्रचार भी शुरू कर दिया है।
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पटौदी : दो महिलाएं आमने-सामने

2014 में पहली बार पटौदी से भाजपा टिकट पर विधायक बनीं बिमला चौधरी को पार्टी ने इस बार फिर भरोसा जताया है। 2019 में उनका टिकट काटकर सत्यप्रकाश जरावता को दिया गया था। इस बार सिटिंग विधायक होते हुए भी राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते जरावता का टिकट काटा गया और बिमला चौधरी को मौका मिला। कांग्रेस ने उनके मुकाबले भूतपूर्व विधायक भूपेंद्र चौधरी की बेटी पर्ल चौधरी को टिकट दिया है। गूगल में वरिष्ठ पद पर रहीं पर्ल चौधरी ने नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रियता दिखाई है। पिता के निधन के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और इस बार टिकट प्राप्त करने में सफल रहीं। यहां भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने की टक्कर देखने को मिल रही है।

स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा चुनाव

गुरुग्राम जिला की चारों सीटों पर चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी हैं। विपक्षी दल जहां सबसे अधिक टैक्स देने वाले गुरुग्राम के साथ भेदभाव का मुद्दा उठा रहे हैं, वहीं भाजपा पिछले दस वर्षों में जिले में हुए विकास का जिक्र कर रही है। द्वारका एक्सप्रेस-वे, सोहना एक्सप्रेस-वे सहित कई अन्य सड़क परियोजनाओं को भाजपा अपनी उपलब्धियों के साथ लोगों के बीच पेश कर रही है।

इंद्रजीत की पसंद पर दिये टिकट

गुरुग्राम में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की साख भी दांव पर लगी है। भाजपा ने तीन मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर उनकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखते हुए टिकट दिए हैं। सोहना के मौजूदा विधायक और राज्य मंत्री संजय सिंह की जगह तेजपाल तंवर और गुरुग्राम में सुधीर सिंगला की जगह मुकेश शर्मा को राव इंद्रजीत सिंह के कहने पर टिकट मिला है। राव के विरोध के चलते ही पटौदी विधायक सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काटा गया और बिमला चौधरी को टिकट दिया गया। वहीं, बादशाहपुर की टिकट राव नरबीर सिंह को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पसंद पर मिली है।

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