गुरुग्राम : फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाकर सरकारी योजना के 2.15 लाख हड़पे
गुरुग्राम, 8 जनवरी (हप्र)
नूंह साइबर थाना पुलिस ने दो ऐसे जालसाजों को दबोचा है, जिन्होंने जिंदा व्यक्ति का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र दिखाकर सरकारी योजना के तहत 2.15 लाख रुपये हड़प लिए। पिछले साल इनके विरुद्ध केस दर्ज किया गया था। इनसे दो मोबाइल और दो सिम कार्ड बरामद हुए हैं।
नूंह की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सोनाक्षी सिंह ने बताया कि पिछले साल अगस्त में दल्लाबास पुन्हाना के रहने वाले मोहम्मद हनीफ ने साइबर थाना पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे मजदूर पंजीकरण के तहत मिलने वाली हरियाणा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने गांव के ही सीएससी संचालक के माध्यम से मजदूर पंजीकरण कापी बनवाने के लिए आवेदन किया। उसी दौरान उनकी मुलाकात पुन्हाना वार्ड-11 लक्ष्मीनगर कॉलोनी में रहने वाले अरबाज से हुई। उन्होंने मजदूर पंजीकरण के तहत मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उनका और पत्नी का आधार व पैन कार्ड नंबर सहित अन्य दस्तावेज मांगे। एक दिन नूंह में बस स्टैंड पर बुलाकर फिरोजपुर नमक निवासी जाबिर से मुलाकात कराई थी। उन्हें पता चला कि मजदूर पंजीकरण की योजना के तहत कुछ राशि खातों में जारी की गई है। उन्होंने सीएससी संचालक से संपर्क किया तो उनकी कॉपी कैंसिल होने की बात कहते हुए फैमिली आईडी नंबर पूछा।
हनीफ का आरोप है कि अरबाज और जाबिर ने धोखाधड़ी कर उनका फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर पोर्टल पर अपलोड कर दिया। फिर मजदूर पंजीकरण के तहत मिलने वाली सरकारी राशी के नाम पर 2.15 लाख रुपये फर्जी खातों में डलवा लिए। विवाद का पंचायत स्तर पर समाधान करने का प्रयास हुआ तो उन्हें गाली-गलौज कर भगा दिया गया। पीड़ित ने साइबर थाना पुलिस को अरबाज और जाबिर के विरुद्ध शिकायत दी।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जालसाजों ने पीड़ित के पैन कार्ड, आधार कार्ड और मजदूर पंजीकरण की कापी के दस्तावेज लेकर फर्जी मोबाइल नंबर व ऑनलाइन तकनीकी सहायता से खाता खुलवाकर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किए थे। आरोपी अरबाज और सीएससी संचालक जाबिर को रिमांड पर लिया जाएगा।
मजदूर पंजीकरण के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर राशि हडपने का यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते साल जुलाई माह में भी तावडू उपमंडल में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। जब फर्जी वैवाहिक प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी योजना के तहत मिलने वाली वित्तीय राशि हड़प ली गई थी।