कोर्ट रूम के बाहर बरामदा... हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम रोक
सत्य प्रकाश/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 10 जनवरी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन को मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट रूम के बाहर बरामदा बनाने का आदेश दिया गया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इससे चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स के यूनेस्को हेरिटेज दर्जे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मेहता ने कहा, ‘(बरामदे का) निर्माण विरासत संरचना को बदल देगा। बरामदा बनाना हमारे लिए अहंकार का विषय नहीं बन सकता। हमें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल दिया गया है।’ चंडीगढ़ प्रशासन ने तर्क दिया कि यदि यूनेस्को की मंजूरी के बिना प्रतिष्ठित इमारत में बरामदा बनाया गया, तो चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स विश्व धरोहर का टैग खो सकता है।
सुनवाई के बाद जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘अगले आदेश तक चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कोर्ट रूम नंबर 01 के सामने बरामदा बनाने के निर्देश पर रोक रहेगी।’ पीठ ने मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट रूम के बाहर बरामदा बनाने के आदेश को लागू न करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा गत 13 दिसंबर को यूटी के मुख्य अभियंता को जारी अवमानना नोटिस पर भी रोक लगा दी।
यह आदेश चंडीगढ़ यूटी प्रशासन की उस याचिका पर आया है जिसमें 29 नवंबर, 2024 के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इस तरह के निर्माण से चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स की यूनेस्को विरासत की स्थिति प्रभावित होगी जहां हाईकोर्ट की इमारत स्थित है। चंडीगढ़ के सेक्टर-1 में स्थित चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स को फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बुजिए ने डिजाइन किया है जिसे 2016 में उनके द्वारा किए गए कई अन्य कार्यों के साथ यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
100 एकड़ क्षेत्र में हैं तीन इमारतें, चार स्मारक
लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैले इस परिसर में तीन इमारतें हैं- विधानसभा, सचिवालय भवन और हाईकोर्ट। साथ ही यहां चार स्मारक- ओपन हैंड स्मारक, जियोमेट्रिक हिल, टॉवर ऑफ शैडो और शहीद स्मारक के साथ ही एक झील है।