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किसानों की मांगों का तार्किक निस्तारण

04:00 AM Jan 06, 2025 IST
किसानों की मांगों का तार्किक निस्तारण
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जनसंसद की राय है कि अन्नदाता का बार-बार सड़कों पर उतरना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को एमएसपी को कानूनी गारंटी देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिये गंभीर पहल करनी चाहिए।

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मांगों की तार्किकता
किसान अपनी जायज मांगों के लिए बार-बार सड़कों पर उतरता है क्योंकि सरकार उनके मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेती। भारतीय किसान एमएसपी को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं, जो बिल्कुल उचित है। यह एक जरूरी कदम है जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके। सरकार को किसानों की समस्याओं को जल्द हल करना चाहिए ताकि उन्हें आंदोलन करने की जरूरत न पड़े। यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है, तो किसानों का संघर्ष समाप्त हो सकता है।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

जल्द समाधान निकाले
भारत में किसानों की एमएसपी की मांग लम्बे समय से जारी है, जो आज तक पूरी नहीं हुई है। किसान अपनी जमा पूंजी और कर्ज लगाकर हर साल फसल उगाता है, लेकिन उसे उचित मूल्य नहीं मिलता। यह स्थिति सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी नहीं बदली है। जैसे सरकार ने राम मंदिर और कश्मीर समस्याओं का समाधान किया, वैसे ही किसानों की एमएसपी की मांग को भी पूरा किया जाना चाहिए। किसान देश का पालनहार है, जो पूरे देश का पेट भरता है। उनकी समस्याओं का समाधान होना चाहिए ताकि वे सड़कों पर न उतरें।
एमएम राजावतराज, शाजापुर, म.प्र.

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हितों की रक्षा हो
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान की आवाज अनसुनी नहीं की जा सकती। किसानों को हर राज्य में 10,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही, कृषि भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर करना जरूरी है। सरकार को किसानों की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए अधिसूचना जारी करनी चाहिए। इसके अलावा, किसानों को मुआवजा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को उचित व्यवस्था करनी चाहिए। इस प्रकार के कदम किसानों के हित में होंगे और उनकी स्थिति में सुधार लाएंगे।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत

अराजकता समाधान नहीं
केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदने का ऐलान किया है, और आरबीआई किसानों को लोन देने की योजना पर विचार कर रहा है। सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रयासरत है, लेकिन यह भी सच है कि आंदोलन अब अराजक हो गया है। यदि किसानों के हित में ठोस कदम उठाने हैं तो उनके आंदोलन को सही दिशा में लाने की जरूरत है। केवल अराजकता से कोई समाधान नहीं निकल सकता, इसलिए सरकार को किसानों के मुद्दों को गंभीरता से हल करना चाहिए।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

मूल्यांकन सही हो
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और किसान देश का अन्नदाता है। लेकिन वह अपनी समस्याओं को लेकर लगातार संघर्ष कर रहा है। राजनेताओं को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से समझने और उनके हक के लिए उचित व्यवस्था करने की आवश्यकता है। किसानों की मेहनत का मूल्यांकन सही तरीके से होना चाहिए। अगर सरकार किसानों की बात नहीं सुनती, तो उनका संघर्ष जारी रहेगा। किसानों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सड़कों पर नहीं आना चाहिए।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी

पुरस्कृत पत्र

एमएसपी की कानूनी गारंटी
कृषि और किसानों की स्थिति सुधारने के लिए नज़रिया बदलना जरूरी है, क्योंकि केवल नारेबाजी से उनकी आय दोगुनी नहीं हो सकती। खेती-बाड़ी को नीति निर्धारण, संसदीय बहस और आर्थिक नीतियों का केंद्र बनाना होगा। किसानों की तंगहाली को समाप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी आवश्यक है। इसके साथ ही, खेती पर प्रति एकड़ खर्च और आमदनी का पारदर्शी आकलन किया जाना चाहिए। सरकार को निरर्थक वार्ताओं की बजाय किसानों की मांगों को तार्किक परिणाम तक पहुंचाने का अवसर पहचानना होगा, वरना इसका नकारात्मक असर देश पर पड़ेगा।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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