काबू में मलेरिया
यह सुखद है कि पूरी दुनिया में पिछले दो दशकों में मलेरिया के खिलाफ जंग में आशातीत सफलता मिली है। जिससे जहां मलेरिया के मामलों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है, वहीं मौत के आंकड़ों में कमी आई है। पिछले दिनों जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि सार्थक प्रयासों से भारत मलेरिया की दृष्टि से अधिक संवेदनशील देशों की सूची से बाहर निकल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हालिया रिपोर्ट में जिक्र किया है कि भारत में मलेरिया के मामलों में जहां 69 फीसदी की कमी आई है, वहीं इससे होने वाली मौतों में 68 फीसदी की कमी आई है। उल्लेखनीय है कि देश के मलेरिया से ज्यादा प्रभावित राज्यों में सघन अभियान चलाया गया। साथ ही जागरूकता अभियान से भी इस दिशा में लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिली है। दरअसल, मलेरिया से ज्यादा प्रभावित राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में मलेरिया उन्मूलन अभियान युद्ध स्तर पर चलाया गया। इसके चलते भारत को डब्ल्यूएचओ ने उन देशों में शुमार किया है जिन्होंने इस दिशा में आशातीत सफलता हासिल की है। सुखद यह है कि मलेरिया से अधिक प्रभावित देशों मसलन अफ्रीकी देशों में नई वैक्सीन के ट्रायल के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। ऐसे में उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि हर साल जो लाखों लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, नई वैक्सीन के प्रभाव से उनकी जान के जोखिम को कम किए जाने में मदद मिल सकेगी। दरअसल, वैक्सीन के फेज-2बी के क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम बताते हैं कि वैक्सीन सुरक्षित है और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में कारगर है। वैक्सीन की प्रभावशीलता पचपन फीसदी बतायी गई है। उल्लेखनीय है कि मशहूर चिकित्सा पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि वैक्सीन रक्त में मौजूद मलेरिया की वजह बनने वाले परजीवियों के खिलाफ प्रभावी पायी गई है। जिसे जीवन की रक्षा के लिये बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जहां भारत में वर्ष 2017 में मलेरिया के चौंसठ लाख मामले थे, वे वर्ष 2023 में घटकर बीस लाख रह गए। वहीं मलेरिया से होने वाली मौतों पर भी अंकुश लगा है। दरअसल, जागरूकता अभियान से उत्पन्न चेतना तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से मलेरिया उन्मूलन में खासी मदद मिली है। एक अनुमान के अनुसार कोई पौने दो करोड़ मलेरिया के मामलों को टाला गया है। वहीं मलेरिया जोखिम में भी आशातीत गिरावट आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के आठ देश मलेरिया से सर्वाधिक प्रभावित थे। जिसमें भारत में भी स्थिति विगत में चुनौतीपूर्ण थी। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात को लेकर चिंतित था कि इस क्षेत्र में सघन आबादी के चलते दुनिया की एक चौथाई आबादी निवास करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण एशिया के इन देशों में मच्छरों से पैदा होने वाले मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए सहज उपचार की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा था। जिससे लोगों के जीवन पर जोखिम को कम किया जा सके। यह तभी संभव था जब मलेरिया के प्रति संवेदनशील लोगों तक सहजता से उपचार पहुंचा सकें। महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश व नेपाल में मलेरिया के मामलों में गिरावट आई है, वहीं म्यांमार, थाईलैंड व दक्षिण कोरिया में मलेरिया के मामलों में वृद्धि का ट्रेंड देखा गया है। यही वजह है कि मलेरिया उन्मूलन पर 2024 की रिपोर्ट जारी करते हुए डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण पूर्व एशिया की कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित करने को इन देशों की सरकारों से विशेष तौर पर कहा है। डब्ल्यूएचओ ने इसके लिये मलेरिया की पहचान, बचाव तथा इलाज की प्राथमिकता सुनिश्चित करने का आग्रह सरकारों से किया है। जिससे मलेरिया के मामलों में गिरावट से लाखों जिंदगियों की रक्षा की जा सके। ऐसे में नई वैक्सीन के उत्साहजनक परिणामों से मलेरिया के संदर्भ में संवेदनशील देशों में इसके खिलाफ लड़ाई को तेज करने में मदद मिलेगी। जो मानवता के लिये एक सुखद संकेत भी है।