नयी दिल्ली, 8 फरवरी (एजेंसी)दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल तक सरकार चलाने के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 70 में से सिर्फ तीन पर ही अपनी जमानत बचा सकी। लगातार तीसरी बार चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुला। पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी में करीब दो प्रतिशत की बढ़ोतरी जरूर हुई है। उसने करीब 6.4 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि 2020 के चुनाव में उसे 4.26 प्रतिशत वोट मिले थे। जमानत बचाने में सफल रहे कांग्रेस उम्मीदवारों में बादली से देवेंद्र यादव, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त और नांगलोई जाट से रोहित चौधरी शामिल हैं। संदीप दीक्षित, अलका लांबा, कृष्णा तीरथ, मुदित अग्रवाल, हारून यूसुफ और राजेश लिलोठिया सहित कई बड़े नाम अपनी जमानत बचाने में विफल रहे। कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन पर निराशा जताई और साथ ही कहा कि वह पांच साल बाद सत्ता में वापसी करेगी।दिल्ली में 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 14 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ दौर 1998 से 2013 तक का रहा। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन चुनाव (1998, 2003, और 2008) जीते और दिल्ली में 15 साल तक सत्ता में रही। आम आदमी पार्टी के उदय के बाद दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का पराभव शुरू हुआ और 2013 के चुनाव में उसे सिर्फ आठ सीटें मिलीं।