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कड़ाके की ठंड पर आस्था भारी पवित्र सरोवरों पर उमड़े श्रद्धालु

05:19 AM Dec 31, 2024 IST
कुरुक्षेत्र में सोमवार को ब्रह्मसरोवर के तट पर स्नान करते श्रद्धालु। -हप्र

कुरुक्षेत्र, 30 दिसंबर (हप्र)
कड़ाके की ठंड और सूर्यदेव के दर्शन न होेने के बावजूद भी सोमवार को साल की अंतिम सोमवती अमावस्या पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पवित्र सरोवरों विशेषकर ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर तथा स्थाण्वीश्वर सरोवर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। रात से ही यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने सोमवती अमावस्या के शुरू होते ही 4 बजकर 1 मिनट पर स्नान-ध्यान शुरू कर दिया था, जो आज पूरा दिन चलता रहा। श्रद्धालुओं ने जहां पवित्र सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाई, वहीं अपने पित्रों के निमित पिंडदान किए और तर्पण किया। गरीबों तथा असहाय लोगों को विभिन्न प्रकार का दान दिया। मंदिरों, विशेषकर शिव और विष्णु भगवान के मंदिर में पूजा-अर्चना की। स्नान-ध्यान करने वालों में छोटे-बड़े तथा बच्चे तक देखे गए। श्रद्धालुओं ने शिव मंदिर में अभिषेक भी किया। ब्राह्मणों को भोजन भी करवाया। सरोवरों पर श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे भी लगाए गए। यहां की जयराम विद्यापीठ परिसर में स्थित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में जहां श्रद्धालुओं द्वारा पूजन एवं अभिषेक करवाया गया, वहीं मुख्य यज्ञशाला में अनुष्ठान भी सम्पन्न करवाया गया। पित्रों की तृप्ति के लिए नारायण बली का आयोजन भी किया गया। बलवंत यादव, बलविन्द्र यादव तथा हंस यादव इत्यादि ने परिवार सहित अनुष्ठान में शामिल होकर पुण्य प्राप्त किया। मंदिर के आचार्य प्रतीक शर्मा ने सोमवती अमावस्या और पिंडदान तर्पण के गुण, फल इत्यादि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इससे पित्रों को तृप्ति मिलती है। कुरुक्षेत्र के पंडित राम राज कौशिक ने जानकारी दी कि 31 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 56 मिनट तक सोमवती अमावस्या रहेगी। इस अवसर पर उन्होंने सोमवार की सोमवती अमावस्या के महत्व के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने भी भगवान शिव का अभिषेक करने का महत्व समझाया। उल्लेखनीय है कि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार युगों-युगों से कुरुक्षेत्र के दो पर्व अमावस्या तथा सूर्यग्रहण पर स्नान-ध्यान करना अति महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे अब अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने भी अपना स्थान बना लिया है।

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