कच्ची घोड़ी नृत्य, बाजीगर मोह रहे पर्यटकों का मन
कुरुक्षेत्र, 9 दिसंबर (हप्र)
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाट पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृतियों ने धमाल मचाया हुआ है। इन राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखेर कर पर्यटकों का मन मोह लिया है। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र के अधिकारी जरनैल सिंह ने कहा कि इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व देकू भद्रवाही कुड व रुमाल नृत्य, पंजाब का झूमर व मलवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उत्तराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मध्य प्रदेश का गंगौर व पांथी नृत्या, झारखंड का पायका नृत्य, उड़ीसा का संभालपूरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, ढेरु गाथा गायन की प्रस्तुति दी जा रही है। सरस मेले पर पर्यटकों की भीड़ भी नए रिकॉर्ड बना रही है। प्लास्टिक मुक्त हरियाणा की मुहिम को चलाते हुये महिलाएं जूट से बने बैग को लेकर महोत्सव में पहुंची है। पश्चिमी तट पर कारागार विभाग द्वारा लगाए स्टॉल पर प्रदेश की जेलों में बनाए जाने वाले लकड़ी व अन्य सामान को डिस्पले किया गया है। इन शिल्पकारों व कलाकारों द्वारा अपनी-अपनी शिल्प व नृत्य कला को बड़े ही अनोखे ढंग से पर्यटकों के सामने रखा जा रहा है। कोई कश्मीर की वादियों से वहां के पारंपरिक वस्त्र लेकर आया है, तो कोई पंजाब की फुलकारी, कहीं राजस्थान की मिठाई सजी है तो कहीं असम का पारम्परिक परिधान खेंजा। इन सभी के बीच हर घर-मंदिर को सुगंधित करने वाली अगरबत्ती भी अपनी महक महोत्सव में बिखेर रही है।