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ऑपरेटर न रेट लिस्ट, 16 आधुनिक भूमि पैमाइश मशीनें तहसीलों में धूल फांक रहीं

04:00 AM Feb 13, 2025 IST
ऑपरेटर न रेट लिस्ट  16 आधुनिक भूमि पैमाइश मशीनें तहसीलों में धूल फांक रहीं
कालांवाली के तहसील कार्यालय में एक कोने में पड़ी भूमि पैमाइश की मशीनें। -निस
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रोहित जैन/ निस
कालांवाली, 12 फरवरी
हरियाणा सरकार ने हर जिले व तहसील में करोड़ों रुपये खर्च कर आधुनिक भूमि माप प्रणाली स्थापित करने के दावे किए थे। सिरसा जिले में ये दावे हकीकत से काेसों दूर हैं। यहां मशीनें जिले के हर तहसील कार्यालय के एक कोने में धूल फांक रही है क्योंकि इन आधुनिक भूमि पैमाइश मशीनों को चलाने के लिए कोई प्रशिक्षित आॅपरेटर नहीं है। इस कारण आमजन खासकर किसानों को जमीन की नपाई के लिए प्राइवेट ऑपरेटरों का सहारा लेना पड़ रहा है। जो अपनी मर्जी से भूमि की पैमाइश करते हैं और किसानों से मोटी रकम भी वसूल कर रहे हैं।

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अक्तूबर 2023 में जिले में आईं थीं 16 मशीनें

बता दें कि सरकार ने करोड़ोें रुपये खर्च कर करीब 300 नए रोवर खरीदे थे, जिसके तहत अक्तूबर 2023 में जिला सिरसा जिले की कुल 6 तहसीलों में 16 नए रोवर आए थे। इनमें तहसील सिरसा, कालांवाली व चौपटा में 3-3, रानियां, डबवाली, ऐलनाबाद में 2-2 और उप-तहसील गोरीवाला में 1 रोवर शामिल है।

जिले के 5 पटवारियों ने ली थी ट्रेनिंग

बता दें कि इन आधुनिक पैमाइश मशीनों को चलाने के लिए जिले के सभी पटवारियों व कानूनगों को जानकारी दी गई थी। 5 पटवारियों को चयन कर उन्हें कंपनी द्वारा चंडीगढ़ में 3-4 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया था। पटवारियों को फील्ड में निशानदेही की जानकारी नहीं देने, आधुनिक सिस्टम समझ नहीं आने और सरकारी रेट लिस्ट तय न होने जैसी कमियों के कारण मशीनें चालू नहीं हो पाई है। इन मशीनों को बीटेक पास ही आसानी से चला सकता है।

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किसानों को हेराफेरी का अंदेशा

किसानों बिंदर सिंह, गुरनाम, गुरप्रीत, हरप्रीत, तरसेम और बाबू सिंह ने बताया कि जमीन पैमाइश से संबंधित किसी भी कार्य की सरकारी फीस निर्धारित नहीं है। इस कार्य को करवाने के लिए आवेदक को 15 से 20 हजार रुपये देने पड़ते हैं। साथ में प्राइवेट ऑपरेटरों द्वारा बड़े भू-मालिकों के साथ मिलीभगत कर भूमि की सीमाओं में हेराफेरी करने का भी भय रहता है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि तहसीलों में पड़ी आधुनिक भूमि पैमाइश मशीनों को चालू किया जाए और प्रशिक्षित आॅपरेटर नियुक्त किए जाए। इससे भूमि के माप में अधिक सटीकता और विश्वसनीयता आएगी और विवादों की गुंजाइश कम होगी।

वर्जन : यह मशीनें बिल्कुल बंद पड़ी है क्योकि ट्रेनिंग लेने वाले पटवारियों को यह प्रशिक्षण नहीं दिया गया था कि फील्ड में निशानदेही कैसे करनी है। पटवारियों व कानूनगों की पूर्ण रूप से ट्रेनिंग के बाद ही यह मशीनें चालू हो पाएगी। - संजय चौधरी , डीआरओ, सिरसा

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