मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

एचएसजीएमसी चुनाव : प्रदेश में 40 सीटों के लिए प्रचार ने पकड़ी रफ्तार

05:18 AM Jan 09, 2025 IST
जगदीश सिंह झिंडा

कुरुक्षेत्र, 8 जनवरी (हप्र)
हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (एचएसजीएमसी) का 19 जनवरी को होने वाले चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मौसम मेंे कड़ाके की ठंड के बावजूद भी चुनाव प्रचार पूरी तरह से गरम है और पूरे प्रदेश में 40 सीटों के लिए चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवारों ने प्रचार करने और जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। उम्मीदवार सारा-सारा दिन गांवों और शहर में बने वोटरों को मिलकर अपनी-अपनी बात रखकर अपने लिए वोट मांगने में लगे हुए हैं। वोट बनाए जाने की प्रक्रिया 10 जनवरी तक जारी रहेगी। चुनाव में कईं वे बड़े नेता भी मैदान में हैं जिन्होंने हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी बनवाने के लिए लगभग 24 साल तक कड़ा संघर्ष किया है। यह ठीक है कि कमेटी वर्ष 2014 में अस्तित्व में आ गई थी लेकिन मुकदमेबाजी के चलते कमेटी सही रूप में 2022 में अस्तित्व में आई और सरकार ने तब से लेकर आज तक एडोहक (तदर्थ) कमेटी का गठन करके रखा। अब सरकार पहली बार कमेटी का चुनाव करवाने जा रही है। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी की मांग करने वालों का संघर्ष वर्ष (1999-2000 ) में शुरू हुआ था। हरियाणा के कुछ नेताओं दीदार सिंह नलवी, जगदीश सिंह झिंडा, कंवलजीत सिंह अजराना, जरनैल सिंह अजराना, हरबंस सिंह डाचर, अवतार सिंह चक्कू इत्यादि लगभग24 सिख नेताओं ने अपनी एक कमेटी बनाकर इस संघर्ष को शुरू किया गया था। संघर्ष के दौरान इन सभी नेताओं ने सबसे पहले तो हरियाणा के गांव-गांव जाकर हरियाणा के लिए अलग कमेटी बनाए जाने की जागरूकता पैदा की। फिर अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए संघर्ष करते हुए धरने प्रदर्शन किए। जीटी रोड जाम की। रेलवे ट्रैक जाम की। जेल भरो आंदोलन चलाया।
हरियाणा सरकार के तत्कालीन मंत्री हरमोहिन्द्र सिंह चटठा के आवास के बाहर 110 दिन तक धरना चलाया। कांग्रेस के तत्कालीन प्रधान फूलचंद मुलाना के आवास पर भी धरना दिया गया। लेकिन इन सब के बावजूद तत्कालीन सरकार के कान पर कोई जूं नहीं रेंगी और लगभग 14 साल तक सिख नेता सिख संगत को साथ लेकर आंदोलन करते रहे। उस समय कुरुक्षेत्र को ही संघर्ष का मुख्यालय बनाया हुआ था। आज भी कमेटी बनने के बाद सरकार ने भी कुरुक्षेत्र को ही एचएसजीएमसी का मुख्यालय बनाया हुआ है। आखिर सिख नेताओं का संघर्ष रंग लाया और उस समय के कांग्रेस के बड़े नेताओं ने संघर्ष में लगे सिख नेताओं को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा से मिलवाया और परिणामस्वरूप वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार के समय में विधानसभा में यह प्रस्ताव पास किया गया कि हरियाणा के लिए अलग से कमेटी बनाई जाए लेकिन फिर मुकदमेबाजी शुरू हो गई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा।
लगभग 8 साल तक मुकदमेबाजी जारी रही। उसके बाद भाजपा सरकार के शासनकाल में वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने एक एडोहक (तदर्थ) कमेटी का गठन किया। 2022 से लेकर अब तक यह एडोहक कमेटी काम कर रही है लेकिन इस एडोहक के चलते संघर्ष के अग्रणी नेता और सिख संगत यह मांग करते रहे कि एचएसजीएमसी का विधिवत रूप से चुनाव करवाया जाए। उसी के परिणामस्वरूप अब लगभग 24 साल के संघर्ष के बाद पहली बार एचएसजीएमसी का चुनाव होने जा रहा है।
संघर्ष करने वालों ने बनायी अलग पार्टी
चुनाव में मुख्य रूप से संघर्ष करने वाले दीदार सिंह नलवी, जगदीश सिंह झिंडा तथा कंवलजीत सिंह अजराना इत्यादि ने अपनी अलग-अलग पार्टियां बनाई हुई है और सभी अपने-अपने बैनर के नीचे अलग-अलग उम्मीअवार खड़े करके चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के लिए 40 वार्ड बने हैं। पूरे प्रदेश में अलग-अलग पार्टियों द्वारा अपने-अपने उम्मीदवार खड़े करके तथा कईं आजाद उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में डंका बजाया हुआ है। चुनावी मैदान में उतरे लोग धुंआधार प्रचार कर रहे हैं। अब यह तो समय ही बताएगा कि चुनाव में किसकी जीत होती है।

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement