एक ऐसा गांव जहां सदियों से नहीं होता होलिका दहन
05:00 AM Mar 14, 2025 IST
सहारनपुर, 13 मार्च (एजेंसी)उत्तर प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर स्थित एक गांव में होलिका दहन नहीं होने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम है। सहारनपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर, नानोता क्षेत्र के बरसी गांव के लोग अपने पूर्वजों की इस परंपरों को आज भी जारी रखे हुए हैं। गांव वालों में मान्यता रही है कि गांव के बीचों-बीच स्थित एक एक महाभारत कालीन शिव मंदिर है और इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव खुद विराजमान हैं और यहां तक कि वह इसकी सीमा के भीतर विचरण भी करते हैं। लोग मानते हैं कि इस डर से सालों से होलिका नहीं जलाई जाती कि आग जलाने से जमीन गर्म हो जाएगी और भगवान के पैर झुलस जाएंगे। यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसके कारण एक अनूठी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा आज भी जारी है। ग्राम प्रधान आदेश कुमार कहते हैं, 'हमारे पूर्वजों ने इस परंपरा को अटूट विश्वास के साथ कायम रखा है और हम उनके पदचिन्हों पर चलते रहेंगे।' ऐसा दावा भी किया जाता है कि यह देश का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जो पश्चिममुखी है।
सहारनपुर, 13 मार्च (एजेंसी)उत्तर प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर स्थित एक गांव में होलिका दहन नहीं होने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम है। सहारनपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर, नानोता क्षेत्र के बरसी गांव के लोग अपने पूर्वजों की इस परंपरों को आज भी जारी रखे हुए हैं। गांव वालों में मान्यता रही है कि गांव के बीचों-बीच स्थित एक एक महाभारत कालीन शिव मंदिर है और इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव खुद विराजमान हैं और यहां तक कि वह इसकी सीमा के भीतर विचरण भी करते हैं। लोग मानते हैं कि इस डर से सालों से होलिका नहीं जलाई जाती कि आग जलाने से जमीन गर्म हो जाएगी और भगवान के पैर झुलस जाएंगे। यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसके कारण एक अनूठी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा आज भी जारी है। ग्राम प्रधान आदेश कुमार कहते हैं, 'हमारे पूर्वजों ने इस परंपरा को अटूट विश्वास के साथ कायम रखा है और हम उनके पदचिन्हों पर चलते रहेंगे।' ऐसा दावा भी किया जाता है कि यह देश का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जो पश्चिममुखी है।
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