For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

एक अधूरी-सी प्रेम कथा

11:35 AM May 28, 2023 IST
एक अधूरी सी प्रेम कथा
Advertisement

प्रगति गुप्ता

Advertisement

प्रेम का अपना ही राग होता है,जो प्रेमी-प्रेमिका के भीतर स्वर लहरियों-सा दौड़ता है। हिमाचल प्रदेश का एक विसंगतियों से जूझता गांव नगरोटा अपने गौरवशाली इतिहास के लिए इतना प्रसिद्ध नहीं है, जितना देबकू और जिंदू के प्रेम-प्रसंग के लिए। अपने उपन्यास में लेखक ने एक ऐसी स्त्री की व्यथा का चित्रण किया है; जिसके जीवन में तीन पुरुष आते हैं। नायिका सोचती है…

‘मैं भी तो एक नदी हूं! प्यासी और भटकी हुई नदी। मुझ में और पहाड़ से निकली नदी में कुछ तो अंतर है! नदी के पास मौज है, मस्ती है, भाव है, मुस्कान है और मेरा नदी होना एक मीठी-सी कल्पना मात्र ही तो है…।’

Advertisement

जब जिंदू का कलाकार मित्र पजौंडू उनकी प्रेम कथा को लोकगीत बनाकर, विवाह समारोह में गाकर सावर्जनिक कर देता है, उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। मगर यह गीत जन-जन की जुबान पर चढ़कर उनकी प्रेम-कथा को अमर कर देता है।

देबकू ने जिन दो पुरुषों से विवाह किया उन्होंने सिर्फ़ अपने स्वार्थों को भुनाया। जिंदू का प्रेम नि:स्वार्थ था, जिससे वह विवाह नहीं कर पाई। उसे ताउम्र प्रेम और अपनत्व नहीं मिला, फिर भी वह समय के प्रभाव में बहने की बजाय धारा के विपरीत तैरने की हिम्मत करती रही।

लेखक ने कथा को विस्तार देने के लिए रियासतों, सामाजिक परंपराओं, रीतियों कुरीतियों, आर्थिक व्यवस्थाओं, धार्मिक कर्मकांडों और स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियों का भी चित्रण किया है।

कहानी की सूत्रधार चंद्रकला जी हैं। जिन्होंने लेखक का कथा से परिचय करवाया। कहीं-कहीं विवरणों का दोहराव है। पाठकों को भाषा सरल और रोचक लगेगी।

पुस्तक : देबकू एक प्रेम कथा लेखक : मुरारी शर्मा प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद, उ.प्र. पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 350.

Advertisement
Advertisement