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एकदा

12:36 PM Jun 29, 2023 IST

एक बार कवयित्री महादेवी वर्मा से महाविद्यालय की छात्राओं ने पूछा कि आप इतना संघर्ष करती रही, आपको इसका कोई शिकवा-गिला नहीं। महादेवी जी ने कहा कि असंतोष और शिकायत दो जुड़वां बहने हैं। मुझे कोई नहीं पूछता, मेरा सम्मान नहीं किया। मेरे साथ किसी का अपनापन नहीं। मेरे मन-मुताबिक कोई काम नहीं होता। ऐसे बड़े अजीब वाकये हैं, जहां शिकायतें औरों से, परिवार से, पड़ोस से, जान-पहचान वालों से। अपने किसी समूह से देखने को मिलती हैं। लेकिन बड़ा सच यह है कि इस तरह की स्थितियां हमारी ऊर्जा का क्षरण करती हैं। ऐसी सोच संभावनाओं के द्वार बंद कर देती हैं, प्रगति पर रोक लगाती हैं। जबकि जरूरत है कि हम सिर्फ मंजिल नहीं, पूरी जीवन-यात्रा पर ध्यान दें। यह समझें कि हमें लगातार खुद पर काम करना है। धीरज और भरोसा, कभी शिकायत तथा असंतोष पैदा नहीं करते।

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प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

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