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ईमानदारी के नमक से प्रसाद

04:00 AM Apr 16, 2025 IST

एक बार एक पर्व पर स्वामी दयानंद गिरि के शिष्यों ने भंडारा आयोजित किया, जिसमें स्वामी जी प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वही सत्कर्म सफल होता है जिसमें गरीब के खून-पसीने की कमाई लगी हो। तभी उन्होंने देखा कि भंडारे के आयोजक एक गरीब वृद्धा को बाहर निकाल रहे हैं। स्वामी जी ने महिला को आदर सहित लाने को कहा। वृद्धा ने स्वामी जी से कहा कि वह भंडारे के लिये दो रुपये देना चाहती है, जिसे ये लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं। स्वामी जी ने तत्काल एक अनुयायी को बुलाकर कहा कि माई के दो रुपये से नमक मंगवाकर भंडारे में इस्तेमाल कर दो। खून-पसीने की ईमानदार कमाई के नमक से भंडारा भगवान का प्रसाद बन जाएगा।

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प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा

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