मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

इनकी भी मौज, उनकी भी मौज

04:00 AM Jun 28, 2025 IST

सहीराम

Advertisement

असल में इन दिनों दुनिया में दो ही लोगों की मौज आई हुई है। बाकी दुनिया तो यूं ही परेशान है-कोई युद्ध को लेकर और कोई भूख को लेकर। पर सचमुच इन दो लोगों की मौज आई हुई है। एक है ट्रंप साहब। वे तो लगता है कि नोबल प्राइज लिए बिना मानेंगे नहीं। इस चक्कर में वे टैरिफ-वैरिफ भी भूल गए हैं। बच्चे कई बार नए खिलौने की धुन में पुरानी मांग भूल जाते हैं। वैसे अगर चाहें तो मौज तो अमेरिका वाले भी ले सकते हैं कि देखो हमने भी क्या राष्ट्रपति बनाया है। उसकी हरकतों को देखकर हंसना चाहो हंसो, रोना चाहो तो रोओ।
ट्रंप साहब ऐसे आदमी हैं कि वही युद्ध भी करवाते हैं, फिर वही युद्धविराम भी करवाते हैं। कोई युद्ध विराम को न माने तो फिर धमकाते भी हैं बल्कि अब तो गालियां भी देने लगे हैं और फिर पुचकारते भी हैं। वे एक दिन किसी को शत्रु बताते हैं तो दूसरे ही दिन उसे अपना सबसे प्रिय मित्र भी बताने लगते हैं। वे इसको महान बताते हैं तो उसको भी महान बताते हैं। वह मित्रों से झगड़ते हैं-नहीं यार एलन मस्क की बात हो रही है-और शत्रुओं को पुचकारते हैं। इधर वे ईरान को छोड़कर अमेरिकी मीडिया पर टूट पड़े हैं। वे क्षणे रुष्टा, क्षणे तुष्टा हैं। वे पल में तोला और पल में माशा हैं। वैसे झंासा भी हैं और फांसा भी हैं। वे क्या नहीं हैं!
दूसरे हैं पाकिस्तानी जनरल आसिम मुनीर। वैसे ऑपरेशन सिंदूर के वक्त हमारे टेलीविजन चैनल वाले उन्हें जेल भेज रहे थे। पर वास्तव में वे पदच्युत नहीं हुए। पदोन्नत हुए। जनरल से फील्ड मार्शल हो गए। हमारे यहां मानकेशॉ फील्ड मार्शल हुए थे इकइत्तर का युद्ध जीतने के बाद। मुनीर साहब बिना युद्ध जीते ही फील्ड मार्शल हो गए। पाकिस्तानी फौज की यही ताकत है। वे फील्ड मार्शल ही नहीं हुए बल्कि ट्रंप के इतने प्रिय हो गए कि उन्होंने मुनीर साहब को भोजन पर आमंत्रित कर लिया। बेचारे शहबाज शरीफ ठहरे इतने शरीफ कि ऐतराज तक नहीं कर पाए कि हुजूर यह गजब कर रहे हो। आप राष्ट्राध्यक्ष हो, आपको अपने समकक्ष को खाने पर बुलाना ही शोभा देता है। पर शरीफ साहब भी जानते हैं कि उसका नाम ट्रंप है कहीं यही न कह दे कि चलो फिर इसी को राष्ट्राध्यक्ष बनाते हैं, तुम घर जाओ। इसी डर के मारे बेचारे बस उन्हें बिरयानी खाते टुकुर-टुकुर देखते रहे। वैसे ट्रंप साहब ने खाने पर तो मोदीजी को भी बुलाया था। लेकिन भगवान जगन्नाथ ने इज्जत रख ली। मोदीजी को पहले ही न्यौता भेज दिया। सो उन्होंने ट्रंप साहब से यही कहकर पीछा छुड़वाया कि मुझे तो भगवान जगन्नाथ का बुलावा आ गया। मैं तो चला। ट्रंप ने भी यह नहीं कहा कि बिरयानी पसंद नहीं है तो ढोकला मंगवा दूं। मुनीर साहब मजे से बिरयानी छकते रहे।

Advertisement
Advertisement