भिवानी, 28 जून (हप्र)मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरएसएस महासचिव के उस ब्यान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने की मांग की। उनके ब्यान ने आरएसएस व भाजपा की मंशा उजागर कर दी। माकपा जिला सचिव कामरेड ओमप्रकाश ने कहा कि आरएसएस महासचिव द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव की माकपा निंदा करती है।यह प्रस्ताव संविधान को नष्ट करने के आरएसएस के दीर्घकालिक उद्देश्य और अपने हिंदुत्व प्रोजेक्ट के लिए भारत को एक धर्म आधारित राष्ट्र में बदलने के उसके इरादे को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान स्वतंत्रता के लिए हमारे ऐतिहासिक उपनिवेश विरोधी संघर्ष की विभिन्न धाराओं के अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की आकांक्षाओं का प्रतीक है।प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को शामिल करना कोई मनमाने तरीके से नहीं जोड़ा गया है। यह उन मूल मूल्यों को दर्शाता है जिनके लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।उन्होंने कहा कि आरएसएस ने स्वतंत्रता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं निभाई, के लिए अब इन आधारभूत सिद्धांतों को हटाने की वकालत करना पाखंड की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा 25 जून 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर देश में संविधान व लोकतंत्र विरोधी काला दिवस मनाने का ढोंग रचती है, वहीं इसकी केन्द्र सरकार ने देश की जनता पर अघोषित आपातकाल थोप रखा है और संविधान के मूल ढांचे को बदलने की साजिश कर रही है।