आत्मसम्मान की रक्षा
स्वामी विवेकानंद लाहौर में अपने कुछ अनुयायियों के साथ एक धार्मिक बैठक में भाग लेने गए थे। वहां स्वामी विवेकानंद एक छोटे से बाजार से गुजर रहे थे, तब उन्होंने देखा कि एक वृद्ध महिला एक दुकान से बर्तन खरीद रही थी। वह महिला गरीब थी और बाजार में बहुत परेशान दिख रही थी। स्वामी विवेकानंद ने महिला को देखा और बिना किसी भूमिका के उसके पास गए। उन्होंने महिला से पूछा, ‘आप इतनी परेशानी में क्या खरीदने की कोशिश कर रही हैं?’ महिला ने जवाब दिया, ‘बर्तन, जिन्हें घर में इस्तेमाल करना है। यह मेरे परिवार की जरूरत है, लेकिन मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं।’ स्वामी विवेकानंद ने महिला को देखा और बिना एक शब्द बोले अपनी जेब से कुछ पैसे निकालकर महिला को दे दिए। महिला चुपचाप पैसे लेकर चली गई। इसके बाद उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि हमारी सभ्यता और हमारी सोच का मूल यही होना चाहिए, ताकि हम किसी भी व्यक्ति को आत्मसम्मान और सम्मान से जीने का अवसर दे सकें।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार