अहसास की शक्ति
एक व्यक्ति बहुत परेशान था। संत ने उसे सलाह दी कि श्रीकृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो। उसने श्रीकृष्ण भगवान की एक मूर्ति घर लाकर उसकी पूजा करना शुरू कर दी। कई साल बीत गए लेकिन, कोई लाभ नहीं हुआ। फिर दूसरे महात्मा ने कहा कि तू काली मां की पूजा कर, जरूर तुम्हारे दुख दूर होंगे। अगले ही दिन वो एक काली मां की मूर्ति घर ले आया। श्रीकृष्ण की मूर्ति मंदिर के ऊपर बने एक टांड पर रख दी और काली मां की मूर्ति मंदिर में रखकर पूजा शुरू कर दी। फिर उसके दिमाग में ख्याल आया कि जो अगरबत्ती, धूपबत्ती काली जी को जलाऊंगा, उसे तो श्रीकृष्णजी भी सूंघ लेंगे। ऐसा करता हूं कि श्रीकृष्ण के मुंह पर कपड़ा बांध देता हूं। जैसे ही वो ऊपर चढ़कर श्रीकृष्ण के मुंह पर कपड़ा बांधने लगा श्रीकृष्ण भगवान ने उसका हाथ पकड़ लिया। वो हैरान रह गया और भगवान से पूछा, ‘इतने वर्षों से पूजा कर रहा था तब तो नहीं आए! अब कैसे प्रकट हो गए? श्रीकृष्ण ने समझाते हुए कहा, ‘आज तक तू एक मूर्ति समझकर मेरी पूजा करता था। किन्तु आज तुम्हें अहसास हुआ कि कृष्ण सांस ले रहा है, बस मैं आ गया।’
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी