मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

अवलोकन 2025 : मानव रचना में फिल्मकारों ने अपनी कलात्मक फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता

04:28 AM May 03, 2025 IST
फरीदाबाद के एमआरआईआईआरएस के 11वें वार्षिक छात्र फिल्म समारोह में मौजूद प्रसिद्ध अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता गुल पनाग। -हप्र
फरीदाबाद, 2 मई (हप्र)

Advertisement

मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) के मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ विभाग द्वारा आयोजित 11वें वार्षिक छात्र फिल्म समारोह अवलोकन-2025 ने एक बार फिर उभरते फिल्म निर्माताओं को अपनी आवाज और अंदाज पेश करने का मंच दिया। कार्यक्रम का उद्घाटन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया।

उन्होंने कहा कि फिल्में समाज के अंतरूकरण की आवाज़ बन सकती हैं और सकारात्मक बदलाव का माध्यम बन सकती हैं।  इस वर्ष की थीम अनसुनी, अनकही और गुमनाम के तहत शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और रील्स की श्रेणियों में देश भर से करीब 100 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं। शॉर्ट फिल्म श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार बेनट विश्वविद्यालय की शिवी गखेर की फिल्म लेडी बर्ड को मिला, जिसमें बालिकाओं की शिक्षा और समान अवसरों की अहमियत को दर्शाया गया।

Advertisement

डॉक्यूमेंट्री श्रेणी में, डीवाई पाटिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की अनन्या कट्टी की फिल्म अधांतारित को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री घोषित किया गया। इस फिल्म में पुणे के ऐतिहासिक भवनों की स्थिति पर रोशनी डाली गई। रील्स श्रेणी में मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल की देवांशी आहूजा और लावण्या लोगानी को उनकी प्रभावशाली कहानी कहने की शैली के लिए विजेता घोषित किया गया।

अभिनेत्री व सामाजिक कार्यकर्ता गुल पनाग, वरिष्ठ पत्रकार डेंजिल ओष्कोनेल के साथ संवाद में, सिनेमा की संवेदनशीलता बढ़ाने की भूमिका पर बात करते हुए बोलीं, फिल्मों में हमारे डर, उम्मीदें और सोच को झकझोरने की ताकत होती है। वे बदलाव की चिंगारी जगा सकती हैं। मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के उपाध्यक्ष डा. अमित भल्ला ने कहा कि अवलोकन एक ऐसा मंच है जहां छात्रों को नए प्रयोग करने और बेबाक अभिव्यक्ति की आजादी मिलती है।

एमआरआईआईआरएस के कुलपति डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि हम ऐसे प्लेटफॉर्म को अकादमिक शिक्षण के विस्तार के रूप में देखते हैं। रचनात्मक अभिव्यक्ति आज के दौर में पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक है। यह आयोजन स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज़ एंड ह्यूमैनिटीज़ के अंतर्गत मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग और सेंटर फॉर मीडिया एंड कम्युनिकेशन द्वारा मिलकर आयोजित किया गया।

 

Advertisement