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अब लाचार खड़ी मास्टर जी की छड़ी

04:00 AM Mar 20, 2025 IST
अब लाचार खड़ी मास्टर जी की छड़ी
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शमीम शर्मा

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आजकल इधर अध्यापक बच्चे का कान मरोड़ता है तो अगले ही दिन बच्चे का पिता मूंछ मरोड़ते हुए आ धमकता है। मुद्दा कोर्ट तक जा पहुंचता है। माता-पिता भूल गये कि अगर स्कूल में कान नहीं खिंचवाये तो अनुशासनहीनता की आदतें बड़े होने पर उसे थाने, कोर्ट-कचहरी तक जाने को उकसायेंगी। फिर छड़ी नहीं, डंडों से खाल उधड़ेगी और जेल की हवा खानी पड़ेगी। वह भी समय था जब मास्टरजी के हाथ में नाचती हुई ‘पवित्र छड़ी’ छात्रों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं थी। इस छड़ी का काम सिर्फ मेज पर ठक-ठक करना नहीं था बल्कि यह छात्रों के भविष्य की रेखाएं भी खींचती थी। अगर कोई छात्र होमवर्क भूल जाता तो छड़ी उसके हाथों पर भविष्यवाणी करती थी।
असल में मास्टरजी की छड़ी, शिक्षा जगत का एक ऐसा अभिन्न अंग था, जिसका नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे छात्रों के पसीने छूट जाते थे। यह छड़ी अनुशासन का प्रतीक थी। जब यह छड़ी शिक्षक के हाथों में लहराती थी तो क्लास में सन्नाटा रहता था। मजाल है कि कोई आवाज हो जाये। जैसे ही कोई छात्र शरारत करता या गृहकार्य अधूरा छोड़ देता तो छड़ी का भय तुरंत हाजिर हो जाता।
पुराने जमाने में छड़ी का इस्तेमाल छात्रों को सीधा करने के लिए होता था। यह छड़ी, गणित के मुश्किल सवालों से लेकर इतिहास की तारीखों तक, सब कुछ याद दिलाने का एक कारगर तरीका थी।
आजकल, छड़ी का इस्तेमाल कम क्या बंद ही हो गया है। वह छड़ी, जो कभी डर का कारण थी, आज हंसी का पात्र बन गई है। अब तो अभिभावक ही हेडमास्टर को कहकर जाते हैं कि हमारे बच्चे को हाथ मत लगा देना। सच्चाई यह है कि इस छड़ी ने ही हमें कई बार सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। केरल हाईकोर्ट ने अध्यापकों के फेवर में एक फैसला सुनाते हुए कहा है कि शिक्षकों को छड़ी रखने की अनुमति होनी चाहिये ताकि विद्यार्थियों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव रहे और वे अनुशासनहीनता न करें।
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एक बर की बात है अक नत्थू रेलवे का इम्तहान पास करे पाच्छै इंटरव्यू देण ग्या। परीक्षक बोल्या- दो रेलगाड़िया एक लाइन पै आगी तो के करैगा? नत्थू बोल्या- रेड लाइट दिखाऊंगा। परीक्षक बोल्या- रेड लाइट ना मिली तो? नत्थू बोल्या- टोर्च दिखाऊंगा। परीक्षक नैं बूज्झी अक टोर्च भी ना मिली तो नत्थू बोल्या- अपणी लाल कमीज तारकै दिखा द्यूंगा। परीक्षक बोल्या- अर तेरी कमीज लाल रंग की ना होई तो? नत्थू गुस्से म्हं बोल्या- फेर मैं अपणे बुआ के छोरे नैं बुलाऊंगा। परीक्षक बोल्या- वो के तीर मारैगा? नत्थू बोल्या- जी उसनैं कदे दो रेलगाड़ियां की टक्कर नीं देखी।

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