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अब आईवीएफ से दूसरे बच्चे के लिए सरकार की परमिशन अनिवार्य

05:00 AM Jul 09, 2025 IST
चंडीगढ़ में मंगलवार को राज्य टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव सुधीर राजपाल।
चंडीगढ़, 8 जुलाई (ट्रिन्यू)

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आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से दूसरे बच्चे के चाहवान दंपत्तियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अब यह इतना आसान नहीं होगा। दूसरे बच्चे के लिए दंपत्तियों को सरकार से लिखित में परमिशन लेनी होगी। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि दूसरे बच्चे के लिए जिला समुचित प्राधिकारी से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। वहीं दूसरी ओर, गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक किए गए गर्भपात की रिवर्स ट्रैकिंग की जाएगी।

हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार के लिए गठित राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में साप्ताहिक बैठक हुई। बैठक में एसीएस ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अवैध गर्भपात में शामिल डाक्टरों के लाइसेंस रद कर दिए जाएं। अवैध गर्भपात के आरोप में नूंह जिले में दो नर्सिंग होम को सील भी किया है।

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सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को अवैध गर्भपात गतिविधियों में लिप्त बीएएमएस डाक्टरों और झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई करने और हर हफ्ते एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पलवल, नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद के झुग्गी-झोपड़ियों और कम आय वाले क्षेत्रों में अपंजीकृत बच्चों की पहचान करने और उनका पंजीकरण करने का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 500 अवैध मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) केंद्र बंद कर दिए गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव के निर्देशों पर टॉस्क फोर्स की हर मंगलवार को बैठक हो रही है। बैठक में अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने तथा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत राज्य के लिंगानुपात में और सुधार लाने के प्रयासों को तेज करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। हरियाणा का लिंगानुपात इस वर्ष 7 जुलाई तक सुधर कर 904 हो गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 903 था। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अवैध गर्भपात के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अवैध गर्भपात में संलिप्त पाए जाने वाले डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने सहित कठोर दंडात्मक कदम उठाएं। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र स्तर पर लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप मई की तुलना में जून में जन्म पंजीकरण के आंकड़ों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बैठक में एसीएस ने सीएमओ को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक किए गए गर्भपात की रिवर्स ट्रैकिंग शुरू करने का निर्देश दिया। इसका उद्देश्य ऐसी प्रक्रियाओं में शामिल चिकित्सकों की पहचान करना तथा उल्लंघन के मामलों में सख्त कार्रवाई शुरू करना है।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पहल के तहत सार्वजनिक पार्कों में जागरूकता अभियान सक्रिय रूप से चलाए जा रहे हैं तथा मोबाइल अलर्ट के माध्यम से संदेश प्रसारित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों की मदद ली जा रही है। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

1700 गर्भवतियों ने नहीं कराया पंजीकरण

प्रदेश में 1700 गर्भवती महिलाओं ने पंजीकरण नहीं करवाया है। स्वास्थ्य विभाग ने इन महिलाओं को नोटिस जारी किया है। करनाल जिले में ऐसी सर्वाधिक 200 महिलाएं हैं। दरअसल, गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के 10 सप्ताह के भीतर एएनएम के पास अपना नाम दर्ज कराना होता है। विभाग को शक है कि कहीं महिलाओं ने गर्भ में लडक़ी का पता चलने पर गर्भपात तो नहीं कराया। विभाग ने स्थानीय कर्मियों को इन महिलाओं पर नजर रखने के लिए कहा है और क्षेत्र की महिला स्वास्थ्य कर्मियों को भी कार्रवाई की चेतावनी दी है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में 481 ऐसे गांव चिन्हित किए गए हैं जहां लिंगानुपात 700 से कम है। इनमें अंबाला और यमुनानगर के 107 गांव शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं को लगातार ट्रैक कर रहा है। उन गर्भवती महिलाओं पर ज्यादा फोकस है, जो पहले से ही दो बेटियों की मां हैं।

 

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