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अफ्रीका के बाद विश्व की सबसे बड़ी सफारी होगी हरियाणा में

05:00 AM Jan 22, 2025 IST
अफ्रीका के बाद विश्व की सबसे बड़ी सफारी होगी हरियाणा में
मंगलवार को अरावली क्षेत्र का दौरा करते हरियाणा के मंत्री राव नरबीर सिंह। - ट्रिन्यू
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सुमेधा शर्मा/ ट्रिन्यू
गुरुग्राम, 21 जनवरी
हरियाणा सरकार अरावली में दुनिया की बेहतरीन जंगल सफारी बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाले ‘वनतारा’ से प्रेरणा ली जा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पर्यटन विभाग से अपने हाथ में ले चुका वन विभाग, देश भर की प्रमुख सफारियों की बेहतरीन सुविधाओं को इसमें शामिल करने के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) की समीक्षा कर रहा है।
राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर आदर्श सफारी मॉडल की पहचान करने के प्रयास का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें वनतारा सूची में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘अरावली सफारी परियोजना, खत्म हो रही अरावली को संरक्षित करने का एक बड़ा प्रयास है। जामनगर स्थित वनतारा एक अत्याधुनिक पशु पुनर्वास सुविधा है और हम सर्वश्रेष्ठ से सीखना चाहते हैं। हम अधिकारियों के संपर्क में हैं और अरावली वन जैसे ही भूभाग वाले अन्य राष्ट्रीय उद्यानों व सफारियों पर भी विचार करेंगे।’
गुरुग्राम और नूंह जिलों के 18 गांवों में 10,000 एकड़ में प्रस्तावित सफारी को अफ्रीका के बाद सबसे बड़ा जंगल सफारी पार्क बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना, जैव विविधता का संरक्षण करना और रोजगार पैदा करना है।
परियोजना की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग से वन एवं वन्यजीव विभाग को ट्रांसफर किए जाने का बचाव करते हुए राव नरबीर ने कहा कि इससे प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित होंगी और पर्यावरण संबंधी विचार प्राथमिकता बने रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘वन विभाग प्राकृतिक आवास पर न्यूनतम प्रभाव सुनिश्चित करते हुए क्षेत्र में स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर काम कर रहा है।’
हालांकि, इस परियोजना की पर्यावरणविदों ने आलोचना की है, उनका दावा है कि इससे अरावली के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है। वन्यजीव कार्यकर्ता वैशाली राणा चंद्रा ने कहा, ‘वे एक आत्मनिर्भर जंगल को चिड़ियाघर में बदलने और व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति देना चाहते हैं। हरियाणा ने लंबे समय से गुरुग्राम और नूंह में अरावली का वन का दर्जा छीनने की कोशिश की है। जब वे असफल हो गये, तो अब इको-टूरिज्म के बहाने इसका शोषण करना चाहते हैैं। यह परियोजना नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाएगी और इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। यदि संरक्षण का इरादा है, तो उन्हें अवैध खनन रोकना चाहिए, जंगल में मलबा गिराना बंद करना चाहिये।’
राव नरबीर ने आश्वासन दिया कि मंत्रालय इन चिंताओं को ध्यान में रख रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम इको-टूरिज्म और संरक्षण को संतुलित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। परियोजना क्षरित भूमि को बहाल करने और हमारे प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।’ राज्य ने अध्ययन के लिए एक टीम वनतारा भेजने की योजना बनाई है।

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