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अनुशासन का दर्शन

04:00 AM Dec 11, 2024 IST

एक बार इमैनुएल कांट जोरदार बारिश और खराब मौसम की भी परवाह किये बगैर अपनी सैर पूरी कर रहे थे। उनके पड़ोसी उन पर हंसते हुए पूछ बैठे, ‘ऐसी भी क्या बेचैनी आन पड़ी।’ कांट ने भी हंसकर कहा, ‘सैर मेरी दिनचर्या का अटूट हिस्सा है। हम जितने अनुशासित होते हैं, उतना ही अधिक तीव्रता से यह महसूस करते हैं कि हम जी रहे हैं, हम जीवन के प्रति उतने ही अधिक सचेत होते हैं।’ जर्मनी के विख्यात कलाविद और दार्शनिक इमैनुएल कांट की इसी पाबंद सैर का ऐसा असर हुआ कि पूरी कालोनी उनकी चहलकदमी सुनकर समय का अंदाजा लगा लेती थी। जिस इलाके में इमैनुएल एक घंटा सैर करते थे उसे स्थानीय अखबारों ने ‘द फिलासफर्स वॉक’ का नाम दे दिया। दर्शनशास्त्र में इमैनुएल आज भी संसार के सबसे पाबंद और अनुशासित दार्शनिक के रूप में याद किये जाते हैं। प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

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