अत्यधिक भूजल दोहन से हरियाणा में घटा मीठे पानी का क्षेत्र
चंडीगढ़, 21 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में अत्यधिक भूजल दोहन के चलते मीठे पानी का क्षेत्र घट रहा है। जलभराव वाले क्षेत्रों में लवणता के साथ गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। लिहाजा, प्रदेश में खिसकते भूजल और सिकुड़ते जल स्त्रोतों को लेकर नायब सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संरक्षण अभियान के साथ कमदताल करते हुए मानसून सीजन में बरसाती पानी को संचित करने का जिम्मा संभाला है। केंद्र सरकार के “जल शक्ति अभियान-कैच द रैन 2025” के छ्ठे संस्करण का राष्ट्र स्तरीय शुभारंभ पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम से 22 मार्च शनिवार को होगा।
प्रदेश में भूजल लगातार खिसक रहा है, जिसके चलते 107 ब्लाक डार्क जोन की श्रेणी में आ चुके हैं। जलस्त्रोतों में जल संचय को लेकर तालाबों के जीर्णोद्धार के साथ नहरी पानी की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सीमा सरस्वती की उद्गम स्थली आदिब्रदी में बांध बनाने की योजना तैयार की गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की अटल भूजल योजना को 14 जिलों के 1647 ग्राम पंचायतों में लागू किया जा चुका है। योजना का उद्देश्य जल संकट वाले क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना है। वहीं, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधिकरण, डीएसआर, भूजल निगरानी, तालाबों का जीर्णोद्धार और नदी-नाली पुनर्भरण योजनाएं शामिल हैं, जो राज्य में भूजल स्तर को सुधारने में सहायक साबित हो रही हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने 2200 स्थानों को चिहिन्त किया गया, जहां पर भूजल की स्थिति और पानी की गुणवत्ता खराब स्थिति में पहुंच गई है।