अच्छी खबर : चंडीगढ़ का हरित क्षेत्र दो वर्षों में 22% बढ़ा
दुष्यंत सिंह पुंडीर/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 जनवरी
चंडीगढ़ के निवासियों के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है कि पिछले दो वर्षों में शहर का हरित क्षेत्र 22% तक बढ़ गया है। इसमें सुखना वाइल्डलाइफ सेंचुरी का क्षेत्र शामिल नहीं है। भारतीय वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 के अनुसार, चंडीगढ़ का कुल हरित आवरण 2021 में 37.88 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2023 में 46.18 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
यह रिपोर्ट वन सर्वेक्षण भारत (एफएसआई) द्वारा हर दो वर्ष में देश में वन और वृक्ष आवरण की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की जाती है। एफएसआई के अनुसार, 2001 में चंडीगढ़ का वृक्ष आवरण केवल 2 वर्ग किलोमीटर था, जो 2023 में बढ़कर 21.18 वर्ग किलोमीटर हो गया। वहीं, वन आवरण 2001 में 13 वर्ग किलोमीटर था, जो 2023 में बढ़कर 25 वर्ग किलोमीटर हो गया।
2021 से 2023 के बीच भी बड़ा बदलाव देखने को मिला। वन आवरण 2021 में 22.88 वर्ग किलोमीटर था, जो 2023 में 25 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया। इसी तरह, वृक्ष आवरण 2021 में 15 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 21.18 वर्ग किलोमीटर हो गया है। वन विभाग ने शिशम, शहतूत, खैर और बबूल जैसे स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाने पर ध्यान केंद्रित किया है। विदेशी प्रजातियों के पौधे लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा, स्थानीय निवासियों को मुफ्त पौधे वितरित किए जा रहे हैं, जिससे हरित क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है। एनजीओ, आरडब्ल्यूए, इको क्लब्स और मीडिया के साथ निरंतर जुड़ाव ने न केवल वन की सुरक्षा में मदद की है, बल्कि चंडीगढ़ के हरित क्षेत्र को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई है।
सामूहिक प्रयास से मिली सफलता
चंडीगढ़ के उप वन संरक्षक नवनीत कुमार श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में दाखिल हलफनामे में बताया कि शहर के वन और वृक्ष आवरण में बढ़ोतरी का श्रेय चंडीगढ़ प्रशासन और अन्य वृक्षारोपण एजेंसियों के सक्रिय प्रयासों को जाता है। हर वर्ष ग्रीनिंग चंडीगढ़ एक्शन प्लान (जीसीएपी) तैयार किया जाता है, जिसे वन विभाग, इंजीनियरिंग विभाग की बागवानी शाखा और नगर निगम मिलकर बनाते हैं। इसके अंतर्गत वार्षिक वृक्षारोपण लक्ष्यों को तय किया जाता है।