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अंतरिक्ष मिशनों के लिए नये ऊर्जा विकल्प

04:00 AM Apr 02, 2025 IST

कोल्ड फ्यूजन के जरिए अगर एक छोटा, हल्का और लंबे समय तक चलने वाला ऊर्जा स्रोत बनाया जा सके, तो सैटेलाइट्स का जीवनकाल बढ़ सकता है। यह तकनीक ईंधन की जरूरत को कम कर सकती है और अंतरिक्ष मिशनों को अधिक कुशल बना सकती है।

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डॉ. शशांक द्विवेदी

अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को निर्बाध ऊर्जा प्रदान करने में कई चुनौतियां होती हैं। अधिकतर सेटेलाइट्स सौर पैनलों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, लेकिन जब वे पृथ्वी की छाया में आते हैं (जैसे जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में), तो उन्हें ऊर्जा नहीं मिल पाती। यह समस्या पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाले लो-अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट्स में अधिक होती है, क्योंकि वे बार-बार छाया में आते हैं। अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स की उम्र बढ़ाने, उन्हें निर्बाध ऊर्जा प्रदान करने, उनके भार में कमी लाने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से विज्ञानी अब कोल्ड फ्यूजन तकनीक पर काम कर रहे हैं। हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप ‘हाइलेनर टेक्नोलाॅजीज’ जल्द ही अंतरिक्ष में बिजली उत्पन्न करने के लिए इस तकनीक का प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट्स के जीवन को बढ़ाना और उनका वजन कम करना है। साथ ही अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन को सक्षम बनाने और अन्य ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने का इसका उद्देश्य है।
कोल्ड फ्यूजन तकनीक, जिसे सामान्यतः ‘लो-एनर्जी न्यूक्लियर रिएक्शन’ के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी अवधारणा है जो परमाणु संलयन को कम तापमान और दबाव पर संभव बनाने का दावा करती है। अगर यह तकनीक व्यावहारिक रूप से लागू हो सके, तो यह सैटेलाइट्स के लिए ऊर्जा उत्पादन में क्रांति ला सकती है। वर्तमान में सैटेलाइट्स मुख्य रूप से सौर ऊर्जा या रेडियोएक्टिव थर्मल जनरेटर पर निर्भर करते हैं, लेकिन इनकी सीमाएं हैं—सौर पैनल सूरज की रोशनी पर निर्भर करते हैं और आरटीजीएस की ऊर्जा धीरे-धीरे कम होती जाती है। कोल्ड फ्यूजन के जरिए अगर एक छोटा, हल्का और लंबे समय तक चलने वाला ऊर्जा स्रोत बनाया जा सके, तो सैटेलाइट्स का जीवनकाल बढ़ सकता है। यह तकनीक ईंधन की जरूरत को कम कर सकती है और अंतरिक्ष मिशनों को अधिक कुशल बना सकती है।
कोल्ड फ्यूज़न का विचार पहली बार 1989 में वैज्ञानिकों मार्टिन फ्लाइशमैन और स्टैनली पॉन्स द्वारा प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने एक साधारण प्रयोगशाला प्रयोग में ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन का एक समस्थानिक) को पैलेडियम धातु में संलयन करके अतिरिक्त ऊष्मा उत्पन्न की। हालांकि, उनके प्रयोग को दोहराने की कोशिश करने वाले कई वैज्ञानिक असफल रहे, जिसके कारण इस दावे पर संदेह बढ़ गया। पारंपरिक परमाणु संलयन में, हाइड्रोजन के समस्थानिक जैसे ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को अत्यधिक उच्च तापमान पर एक साथ लाया जाता है ताकि उनके बीच का कूलम्ब बैरियर पार हो सके। यह बैरियर दो धनात्मक आवेशित नाभिकों के बीच उत्पन्न होने वाली प्रतिकर्षण शक्ति है। कोल्ड फ्यूज़न में, यह प्रक्रिया बिना उच्च तापमान के, सामान्य परिस्थितियों में हो सकती है।
हाइलेनर टेक्नोलाॅजी ने कम ऊर्जा वाले परमाणु रिएक्टर (एलईएनआर) का परीक्षण करने के लिए एक अन्य नवोदित फर्म टेकमी2स्पेस सेटेलाइट्स के साथ समझौता किया है। एलईएनआर बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूजन का उपयोग करता है। कोल्ड फ्यूजन की अनूठी विशेषता यह है कि यह फ्यूजन रिएक्शन के लिए खपत की गई बिजली के मुकाबले अधिक बिजली उत्पन्न करता है।
हाइलेनर टेक्नोलाजीज के संस्थापक और सीईओ सिद्धार्थ दुराइराजन ने बताया, ‘प्रत्येक 100 वाट की इनपुट ऊर्जा के लिए एलईएनआर 178 वाट की आउटपुट थर्मल ऊर्जा उत्पन्न करता है।’ उनका कहना कि परीक्षण एवं प्रक्षेपण के लिए कंपनी ने स्काईरूट और इसरो के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) बुक किया है। गौरतलब है कि टेकमी2स्पेस अंतरिक्ष में कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इसका उपयोग अंतरिक्ष में डाटा केंद्रों को संचालित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘क्यूबसैट पर ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते हैं। हम उस गर्मी का दोहन करने और इसे सेटेलाइट में उपयोग करने योग्य ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन और आफ-ग्रिड बिजली समाधानों के लिए नई संभावनाएं खुल सकती हैं।’
टेकमी2स्पेस के अनुसार उनकी कंपनी एलईएनआर सहित कई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तलाश कर रही है ताकि कंप्यूट-केंद्रित सेटेलाइट्स में गर्मी निष्कर्षण और संभावित पुन: उपयोग के लिए प्रभावी तरीकों का आकलन किया जा सके। हाइलेनर के पास अपनी कम ऊर्जा परमाणु रिएक्टर तकनीक के लिए सरकार से प्राप्त पेटेंट है। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए गर्मी पैदा करने, कई अनुप्रयोगों के लिए भाप उत्पादन, वैश्विक स्तर पर ठंडे क्षेत्रों में कमरे को गर्म करने और घरेलू एवं औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए प्रेरण (इंडक्शन) हीटिंग के लिए इनपुट इलेक्टि्रसिटी में वृद्धि करती है।
उल्लेखनीय है कि सौर पैनल, बैटरी और अन्य उपकरणों की मदद से बिजली के उपभोग की वजह से किसी भी सेटेलाइट का भार 40-60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हाइलेनर का कोल्ड फ्यूजन डिवाइस और टेकमी2स्पेस का आफ-ग्रिड बिजली समाधान अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को बिजली समाधान प्रदान करने तथा अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन का प्रयास कर रहा है। यदि कोल्ड फ्यूज़न वास्तव में संभव हो सका, तो यह ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांति ला सकता है, क्योंकि यह स्वच्छ, सस्ता और असीमित ऊर्जा स्रोत प्रदान करेगा।

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लेखक विज्ञान विषयों के जानकार हैं।

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