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होम लाइफ बैलेंस गृहिणी का भी अधिकार

04:05 AM Jun 03, 2025 IST
होम लाइफ बैलेंस गृहिणी का भी अधिकार
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अकसर दफ्तर से लौटी महिला के थकने या व्यस्त रहने की बात तो होती है पर घर के भीतर भागदौड़ में जुटी स्त्रियों को लेकर ऐसा कुछ नहीं सोचा जाता। जबकि उनके लिए भी आराम और कामों में एक बैलेंस जरूरी है। ऐसे में महिलाएं खुद संतुलन की डगर चुनें। अपनी रुचि को भी प्राथमिकता दें। सुबह अपने कामों की सूची बनाएं व प्राथमिकता तय करें। वहीं ‘मी टाइम‘को लेकर अपनों से स्पष्ट बात करें।

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डॉ. मोनिका शर्मा
वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर कई पहलुओं पर सोचा जाता है। कामकाजी स्त्रियां घर की जिम्मेदारियों और कामकाजी भागदौड़ के बीच कैसे अपने लिए समय निकालें? किस तरह खुद को आराम दें? जिंदगी में संतुलन बनाए रखने के लिए कौनसे तरीके अपनाएं? जैसी बातों का जिक्र भी किया जाता है और फिक्र भी। वहीं होम लाइफ बैलेंस को लेकर आमतौर पर कोई बात नहीं होती है। जबकि घर पर ही रहकर हर समय भागदौड़ में लगी रहने वाली महिलाओं के लिए भी संतुलित दिनचर्या जरूरी है। घर-आंगन तक सिमटी महिलाओं के जीवन में भी संतुलन होना आवश्यक है।
काम और आराम का संतुलन
हमारे पारिवारिक परिवेश में दफ्तर से लौटी महिला के थकने या व्यस्त रहने की बात तो होती है पर घर के भीतर भागदौड़ में जुटी स्त्रियों को लेकर ऐसा कुछ नहीं सोचा जाता। वर्किंग वुमन के ट्रैफिक से जूझने, यात्रा कर दफ्तर तक पहुंचने की उलझनों की बात होती है पर होममेकर्स की शारीरिक भागदौड़ और ठहरी- सिमटी सी ज़िंदगी में बिखरती मनःस्थिति की उपेक्षा ही होती आई है। सुबह से शाम तक अपनों का ख्याल रखने के लिए दौड़ती महिलाओं की परेशानियों की ओर किसी का भी ध्यान ही नहीं जाता। जबकि उनके लिए भी आराम और अंतहीन सूची वाले कामों में एक बैलेंस जरूरी है। घर संभालने का दायित्व निभा रही बहू-बेटियां भी थकती हैं। उनकी दिनचर्या भी आसान नहीं होती। स्पष्ट है कि घर और जीवन के बीच संतुलन बनाना भी महत्वपूर्ण है। दफ्तर जाकर काम न करने वाली महिलाओं को भी परिवार के साथ समय बिताने, अपनी रुचियों को समय देने और स्वस्थ जीवनशैली बनाये रखने के लिए समय नहीं मिल पाता। ऐसे में जरूरी है कि घर के छोटे-बड़े सदस्य हर समय कुछ न कुछ करने को कहते रहने के बजाय उनके काम और आराम में संतुलन बनाने में मदद करें। कम से कम यह समझने की गलती न करें कि उनका जीवन बहुत आसान है या दिनभर घर पर रहती हैं तो करती ही क्या हैं?
समय प्रबंधन आवश्यक
असल में टारगेट केवल ऑफिस में ही नहीं होते। समय सीमा में काम निपटाने, रसोई में कुछ पकाने, रिश्तेदारी में मेलमिलाप रखने और आस-पड़ोस में लेन-देन निभाने के भी टारगेट होते हैं। समय के सही मैनेजमेंट के बिना घरेलू जिम्मेदारियों की सूची कभी खत्म नहीं हो सकती। ऐसे में खुद महिलाएं भी अपनी संभाल-देखभाल के लिए समय निकालने का प्रयास करें। बात सेहत और फिटनेस के लिए समय निकालने की हो या किसी सहेली से बैठकर बतियाने की- समय प्रबंधन करके ही अपने लिए वक्त निकाला जा सकता है। होम लाइफ में संतुलन बनाया जा सकता है। देखने में आता है कि घरेलू महिलाएं जरूरी होने पर ‘नहीं’ कहने की हिम्मत नहीं दिखातीं। उनके अपने भी ‘ना’ सुनने का भाव नहीं कम ही रखते हैं। ऐसे में नॉन-वर्किंग महिलाओं की पर्सनल लाइफ भी कहीं पीछे छूट जाती है। गृहिणियों को भी नियमित दिनचर्या में कोई ब्रेक नहीं मिलता। नींद पूरी नहीं होती। इन्हीं दिनों ग्लोबल हेल्थ टेक्नोलॉजी कंपनी ‘रेसमेड’ द्वारा नींद पर किये एक सर्वे के मुताबिक दुनियाभर में करोड़ों लोग ठीक से नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। यह अध्ययन बताता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं नींद के संकट से अधिक जूझ रही हैं। तनाव के कारण नींद की समस्या से जूझने वाले देशों में हमारा देश सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार 69 प्रतिशत भारतीय ठीक से नींद नहीं ले पा रहे हैं। समझना मुश्किल नहीं कि इसमें एक बड़ी आबादी महिलाओं की भी है। जिसमें कामकाजी ही नहीं, होममेकर स्त्रियां भी शामिल हैं। असल में घरेलू महिलाओं के हिस्से भी कई बातों से जुड़ा तनाव रहता ही है। बावजूद इसके अपने हों या पराये सभी को वे बहुत कुछ करते हुए भी कुछ न करने वाली भूमिका में दिखती हैं। उनका रोल ‘टेकन फॉर ग्रांटेड’ स्थिति में आ जाता है। दिनभर भाग-भागकर सब कुछ करते रहना अपनों को आम सी बात लगती है। ऐसे में अपनी सहजता और सुकून के लिए खुद महिलाओं को ही अपने समय का प्रबंधन करना होगा। वरना ये मल्टीटास्किंग और एकरसता तनाव और चिंता के घेरे में ले आएंगी।
बाहर की दुनिया से जुड़ाव
जैसे कामकाजी महिलाओं के लिए घर में आराम से समय बिताना बदलाव होता है वैसे घर पर रहने वाली स्त्रियों को बाहर जाने से थोड़ा बदलाव महसूस होता है। आमतौर पर बच्चे, बड़े या जीवनसाथी कोई इस बात को अहमियत नहीं देता। सगे-संबधियों के यहां किसी कार्यक्रम में जाने के अलावा उनका कहीं और जाना जरूरी नहीं समझा जाता। जबकि महिलाएं रिश्तेदारी में जाकर भी काम करने में ही जुट जाती हैं। ऐसी आउटिंग मानसिक शांति और मन के बदलाव तो नहीं ही ला सकती। ऐसे में महिलाएं खुद संतुलन की डगर चुनें। अपनी रुचि को भी प्राथमिकता दें। सुबह-सुबह अपने कामों की सूची बनाएं व प्राथमिकता तय करें। अपने मी टाइम को लेकर अपनों से स्पष्ट बात करें। हर समय कुछ न कुछ करते रहने के बजाय अपनी लिमिट्स भी तय करें। ऐसा करने से ही होम लाइफ बैलेंस बन सकता है। इन परिस्थितियों में आप अपनी सेहत और हॉबीज को समय दे सकेंगी। समय-समय पर ब्रेक लेना भी सहज होगा। यह समय घर के बाहर की दुनिया से जुड़ने और कुछ नया सीखने जैसी स्ट्रेस फ्री एक्टिविटीज़ में लगाने से घर और अपने भीतर के मोर्चे पर संतुलन बना रहेगा।

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