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हार को शिक्षक मान जीत की संभावना तलाशें

04:00 AM May 19, 2025 IST
हार को शिक्षक मान जीत की संभावना तलाशें
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हमारा समाज सदैव सफलता को ही महिमामंडित करता है। वास्तव में असफलता ही सफलता की पहली पीढ़ी है। उसे एक सबक के रूप में लेकर हमें सफलता की राह चुननी चाहिए। सही मायनों में सफलता-असफलता एक सिक्के के दो पहलू ही हैं।

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डॉ. मधुसूदन शर्मा

जीवन एक यात्रा है-कभी सहज, तो कभी जटिल। जीवन यात्रा में जितनी सफलता की ऊंचाइयां हैं, उतनी ही हार की गहराइयां भी हैं। जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में हार का सामना करता है तो उसका सबसे पहला स्वाभाविक भाव निराशा होता है। अपनी पराजय के लिए या तो हम हम स्वयं को दोष देने लगते हैं या फिर परिस्थितियों को कोसते हैं। लेकिन यदि हम थोड़ा धैर्य रखें तो पायेंगे कि हार केवल एक रुकावट नहीं बल्कि कुछ सीखने का अवसर है। यह हमारे दृष्टिकोण, योजनाओं तथा आत्ममूल्यांकन को गहराई से देखने का समय होता है।
हमारे समाज में हार को नकारात्मकता से देखा जाता है। बच्चों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि सिर्फ ‘जीतना ही महत्वपूर्ण है।’ समाज में कभी भी हार की स्वीकार्यता नहीं रही। जबकि सच्चाई यह है कि पराजय आत्मदृष्टि का अवसर प्रदान करती है। वह संकेत देती है कि कहीं कुछ अधूरा रह गया है-संभवतः हमारी तैयारी में,दृष्टिकोण में या आत्मविश्वास की दृढ़ता में। जब हम हार को एक शिक्षक के रूप में स्वीकार करते हैं, तब हम उसके अंदर निहित सफलता की संभावनाओं की तलाश कर पाते हैं।
इतिहास साक्षी है कि सफलता की नींव अक्सर असफलताओं की ईंटों से रखी जाती है। अब्राहम लिंकन ने कई चुनाव हारे। व्यापार में असफल रहे। लेकिन अंततः वह अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रपति बने। हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग को तमाम प्रकाशकों ने अस्वीकार कर दिया था। पर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को बना प्रयत्न जारी रखा। अंततः एक छोटे से प्रकाशक ब्लूम्सबरी ने उनकी पांडुलिपि को स्वीकृति दे दी और वह इतिहास बन गया। वह कहती थीं, यदि आपका विश्वास अडिग है तो अस्वीकृतियां केवल सीढ़ियां है सफलता की ओर।
अगर हम सफल होना चाहते हैं तो असफलता की चेतना को आश्रय न दें। असफलता तब ही स्थाई बनती है,जब हम उसे भीतर बसा लेते हैं। एक असफल प्रयास को यदि हम आत्म छवि में बदल लें, तो वह हमे भीतर से खोखला कर देती है। लकिन यदि हम उसे केवल एक अनुभव मानें, एक पाठ की तरह ग्रहण करें तो वह हमें मजबूत बनाता है। चेतना की दिशा ही हमारे जीवन की दिशा तय करती है। इसलिए मन में यह दृढ़ विश्वास होना चाहिये कि आप असफल नहीं हैं।
परमहंस योगानंद जी का एक प्रेरणादायक कथन है- ‘असफलता का समय ही सफलता के बीज बोने के लिए सर्वोत्तम समय है।’ यह कथन जीवन के गहरे सत्य को उजागर करता है। जीवन के सबसे कठिन क्षणों में हमारा अंतर्मन सबसे अधिक उपजाऊ भूमि होती है। इस समय आत्मविश्वास, धैर्य और विवेक के बीज बोए जा सकते हैं। ये बीज एक दिन सफलता के वटवृक्ष बनते हैं। हमारी संस्कृति और अध्यात्म भी हमें सिखाते हैं कि असफलता कोई स्थाई स्थिति नहीं होती, बल्कि वह आत्मविश्लेषण, आत्मसुधार और आत्मोत्थान का एक अवसर होती है। श्रीराम का वनवास एक हार नहीं, बल्कि दिव्य जीवन के नए अध्याय की शुरुआत थी। महाभारत के कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन का मोह युद्ध से पहले ही पराजय लगता है पर वह विचार गीता के ज्ञान का द्वार बन गया।
ये सभी उदाहरण बताते हैं कि असफलताओं के पीछे असीम सफलताओं की संभावना छिपी होती है। यहां परमहंस योगानंद जी का यह कथन मार्गदर्शक बनता है, ‘जब असहनीय चुनौतियों का पहाड़ आप पर टूट पड़े, तब साहस और सूझबूझ न खोएं। अपनी अन्तर्ज्ञानजनित सहज बुद्धि तथा ईश्वर में आस्था को सक्रिय रखिए, उस संकट से बच निकलने का कोई न कोई रास्ता खोजने का प्रयास कीजिए। चाहे वह रास्ता कितना भी असंभव क्यों न लगे और आपको मार्ग मिल जाएगा। अंत में सब ठीक हो जाएगा क्योंकि परमात्मा ने जीवन के क्षणभंगुर अनुभवों में दिखने वाले सतही विरोधाभासों के पीछे अपना वरदान छिपा कर रखा हुआ है। अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए परमात्मा की सहायता लें।’
हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी असफलता देखते हैं। यह असफलता एक परीक्षा में भी हो सकती है किसी रिश्ते में, करिअर में या आत्मसंघर्ष के किसी गहरे मोड़ पर भी हो सकती है। इसमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। यह तो आत्ममंथन का अवसर है। जब हम असफलताओं से टूट रहे होते हैं तो हमारे अंतर्मन से एक आवाज आती है, ‘उत्साह और धैर्य के साथ पुनः प्रयास करो। यह असफलता तुम्हारे लिए ऊपर उठने का एक अवसर है।’ मनुष्य का अंतर्मन अद्भुत क्षमता से युक्त होता है। जैसे ही कोई असफलता जीवन यात्रा का एक द्वार बंद करती है, अंतर्मन सफलता की खिड़की खोल देता है। जब अंतर्मन कुछ करने के लिए संकल्प लेता है तो सारा ब्रह्मांड उसकी सहायता करने लगता है।

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