हर मोड़ पर हैरान करने वाले नज़ारों से मुलाकात
गर्मियों की शुरुआत होते ही लोग किसी ठंडी और शांत जगह की तलाश में निकल पड़ते हैं। ऐसे में दक्षिण भारत का लोकप्रिय हिल स्टेशन ऊटी पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बनकर सामने आता है। नीलगिरि की पहाड़ियों में बसा यह शहर न सिर्फ़ अपनी ठंडी जलवायु, हरे-भरे चाय बागानों और होममेड चॉकलेट के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता, टॉय ट्रेन का रोमांच और ब्रिटिशकालीन विरासत हर साल लाखों सैलानियों को अपनी ओर खींचती है।
अलका ‘सोनी’
गर्मियों ने दस्तक दे दी है। गर्मियां आते ही तन-मन सुस्त होने लगता है। हम आलस से भर जाते हैं। इस आलस को भगाने का सबसे अच्छा तरीका है, घूमना। यह भी कहा जाता है कि पर्यटन द्वारा मिला ज्ञान, किताबों की सीखी विद्या से भी बढ़कर होती है।
अब चूंकि अप्रैल महीना है तो इस मौसम में भी घूमना हमेशा सुकून देता है। ऐसे में आपको उन जगहों पर जाना चाहिए जो गर्मी से दूर हों। अगर आप ऐसी ही किसी प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर जगह जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आइए हम अपने चर्चित हिल स्टेशन ले चलते हैं जहां जाकर आपके तन और मन,दोनों को ठंडक और ताजगी का एहसास होगा।
गर्मियों में पहाड़ों के दिलकश नज़ारे और मौसम के कारण वहां घूमना सबको पसंद होता है। फिर पहाड़ों की बात हो तो सबसे पहले जेहन में ऊटी का नाम आता है। जिसकी खूबसूरत वादियों में अनगिनत फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। उन वादियों को अपनी खुली आंखों से देखना बेहतरीन अनुभव हो सकता है।
ऊटी तमिलनाडु राज्य में पड़ता है। यहां की नीलगिरि पहाड़ियों में बसा ऊटी (पुराना नाम - ऊटकमुंड) दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। इसे ‘हिल स्टेशनों की रानी’ कहा जाता है। ठंडी जलवायु, हरी-भरी घाटियां, सुगंधित चाय के बागान और ब्रिटिश काल की विरासत इसे एक अद्भुत पर्यटन स्थल बनाते हैं।
इसके अलावा यहां आने वाले लोगों को ऊटी के होम मेड चॉकलेट अपनी मिठास से मोहित कर देते हैं। संपूर्ण ऊटी प्राकृतिक रूप से सुंदरता से भरी है।
ऊटी झील
ऊटी झील को उधगमंडलम झील के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में, ऊटी शहर के पास स्थित एक कृत्रिम झील है। यह लगभग ढाई किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसे 1824 में जॉन सुलिवन द्वारा बनवाया गया था। ऊटी झील पर बना बोटहाउस एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। यहां आने वाले पर्यटक बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं। यहां एक बगीचा और जेट्टी भी है। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख दर्शक यहां आते हैं।
नीलगिरि पर्वत रेलवे
इसे युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। इस टॉय ट्रेन में सफर करना किसी के लिए भी एक यादगार अनुभव होता है। यह कोयंबटूर से ऊटी तक हरी-भरी पहाड़ियों और सुरंगों से होकर गुजरती है। इसकी स्थापना 1891-1899 के बीच हुई थी।
यह मेट्टुपालयम से ऊटी तक जाती है। जो कि लगभग 5 घंटे की यात्रा है। इस दौरान यह 209 मोड़ों, 16 सुरंगों और 250 पुलों से होकर गुजरती है। यह भारत की एकमात्र रैक रेलवे है। साथ ही यह भारत की सबसे धीमी ट्रेनों में से एक है।डोडाबेट्टा चोटी
यह नीलगिरि की सबसे ऊंची चोटी है, जहां से ऊटी का मनोरम दृश्य दिखता है। चोटी के चारों ओर आरक्षित वन क्षेत्र है। यह भारत के तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में ऊटी-कोटागिरी रोड पर ऊटी से 9 किमी दूर है। यहां स्थित टेलिस्कोप हाउस से दूर तक के नज़ारे देखे जा सकते हैं। यह अनमुदी और मीसापुलिमाला के बाद दक्षिण भारत की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। दरअसल डोडाबेट्टा शब्द कन्नड़ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘बड़ी पहाड़ी’।
बोटैनिकल गार्डन
ऊटी बॉटनिकल गार्डन की स्थापना 1848 में विलियम ग्राहम मैकइवर ने की थी, जो एक ब्रिटिश बागवानी विशेषज्ञ थे। उन्हें इस उद्यान का अधीक्षक नियुक्त किया गया था। उन्होंने इस उद्यान को इतालवी शैली में डिज़ाइन किया था, जिसमें आकर्षक छतें, फव्वारे, तालाब और लॉन थे। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई विदेशी और सजावटी पौधे भी लगाए। यह 55 एकड़ में फैला हुआ एक खूबसूरत उद्यान है, जहां दुर्लभ पौधों की प्रजातियां और 20 करोड़ साल पुराना जीवाश्म वृक्ष देखा जा सकता है। इस उद्यान में पौधों, पेड़ों और फूलों की 650 से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें से कुछ दुर्लभ और विदेशी हैं। इस उद्यान में कुछ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आकर्षण भी हैं, जैसे कि टोडा पहाड़ी, और हर साल होने वाली वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी।
चाय और कॉफी बागान
ऊटी की यात्रा बिना इसके सुगंधित चाय बागानों को देखे अधूरी रहती है। ऊटी के आसपास के चाय के बागान अपने हरे रंग से अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं। यहां कई चाय संग्रहालय भी हैं, जहां चाय उत्पादन की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। यहां की चाय पूरे भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मशहूर है। भारत की सबसे ज़्यादा निर्यात की जाने वाली किस्मों में से एक नीलगिरी चाय यहीं की है। ऊटी के चाय बागान व्यू प्वाइंट पर मसाला चाय और टी कढ़ाई में चाय का आनंद लिया जा सकता है। कुंजपनई में 30 एकड़ जमीन पर फैले अद्भुत चाय और कॉफी बागान है, जिसमें 14 एकड़ चाय और 16 एकड़ कॉफी के बागान हैं।
मशहूर होम मेड चॉकलेट
मनोरम पहाड़ी वादियों और टॉय ट्रेन ट्रैक के अलावा ऊटी के होम मेड चॉकलेट भी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर बरबस ही खींच लेते हैं। यह हिल स्टेशन दक्षिण भारत का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां यूरोपीय शैली के शुद्ध और हस्तनिर्मित चॉकलेट बनाए जाते हैं।
ब्रिटिश शासन काल के दौरान ऊटी को एक लोकप्रिय समर रिट्रीट के रूप में विकसित किया गया था। ठंडी जलवायु और यूरोपीय प्रभाव के कारण यहां चॉकलेट निर्माण की परंपरा शुरू हुई थी, जो आज भी जारी है।
यहां बनने वाले चॉकलेट्स में डार्क चॉकलेट, मिल्क चॉकलेट, व्हाइट चॉकलेट, कैरेमल और ट्रफल चॉकलेट, मिंट और कॉफ़ी फ्लेवर चॉकलेट प्रमुख हैं। सभी चॉकलेट बिना किसी प्रिजर्वेटिव के बनाए जाते हैं। इसलिए इनका स्वाद और गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है। आप यहां के दुकानों में ताजा तैयार होते हुए चॉकलेट देख सकते हैं और अपनी पसंद के फ्लेवर का चॉकलेट आर्डर भी कर सकते हैं।
खानपान और खरीदारी
ऊटी में हर्बल चाय, होममेड चॉकलेट और स्थानीय मसालों का स्वाद लेना न भूलें। यहां के तिब्बती बाजार, चॉकलेट शॉप्स और हैंडलूम स्टोर्स से यादगार खरीदारी की जा सकती है। ऊटी केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का संगम है, जो हर यात्री के दिल में अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है।
आने का उपयुक्त समय
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का समय ऊटी घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। मानसून में यहां की हरियाली और खिल उठती है, लेकिन ठंड के मौसम में कुहासे से ढकी पहाड़ियां अलग ही आकर्षण बिखेरती हैं।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर है। जो ऊटी से 85 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स कोयंम्बटूर आती हैं। एयरपोर्ट से बाहर निकलकर आप टैक्सी, कैब या बस के जरिए सड़क मार्ग से महज 3 घंटे में ऊटी पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग
ऊटी रेलवे स्टेशन, मेट्टूपलयम रेलवे स्टेशन से जुड़ा है, जो कि ऊटी से 40 किमी दूर है।
चेन्नई, मैसूर, बेंगलुरु समेत कई नजदीकी शहरों से नियमित ट्रेनें मेट्टूपलयम आती हैं। इसके अलावा आप चाहें तो नीलगिरी माउंटेन टॉय ट्रेन में बैठकर पहाड़ियों, घने जंगलों और घाटियों के बीच से होते हुए भी ऊटी पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग
कोयंबटूर, मैसूर और बैंगलोर से बस व टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। आप चाहें तो तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस सर्विस के जरिए भी ऊटी पहुंच सकते हैं।