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हथियार देकर सीजफायर कराने वाले ‘डैडी’

04:00 AM Jul 01, 2025 IST
हथियार देकर सीजफायर कराने वाले ‘डैडी’
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आलोक पुराणिक

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एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रंप को डैडी कहा गया। डैडी खुश हुए। ट्रंप दुनिया के डैडी हैं, ऐसा वह मानते हैं, पर दुनिया के कई देश उन्हें डैडी नहीं मानते। बहरहाल, किसी के मानने या न मानने से डैडी को कोई फर्क नहीं पड़ता। दुनिया के डैडी ट्रंप का परम प्रिय काम है, देशों के बीच के झगड़े में सीजफायर यानी युद्धविराम करवाने का। वैसे सच यह है कि दुनिया में कई इलाके ऐसे हैं, जहां फायर लगाने का जिम्मेदार अमेरिका की है, और अब सीजफायर की जिम्मेदारी भी अमेरिका ले रहा है। अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रंप के रुटीन के संवाद इन दिनों कुछ ऐसे होते होंगे—
यस सेक्रेटरी आज थाईलैंड और अर्जेंटीना के बीच सीजफायर घोषित कर दो।
ट्रंप सर, थाईलैंड और अर्जेंटीना के बीच तो कोई युद्ध ही नहीं है, सीजफायर कैसे कर दें।
यस सेक्रेटरी, बहुत निकम्मे टाइप के देश हैं, लड़ते नहीं हैं। तुम एक काम करो, इनके बीच सीजफायर घोषित करवा दो, कह देना अभी सीजफायर घोषित कर दिया है, आगे जब मन करे, तो लड़ाई कर लें, तब हमारे सीजफायर का इस्तेमाल कर लें।
ट्रंप सर, ये देश बहुत दूर हैं, एक दूसरे से लड़ भी नहीं सकते।
यस सेक्रेटरी, दूरी की कोई चिंता नहीं, ये दोनों देश हमारे पास से जहाज खरीद लें, उड़कर दूर दूर तक पहुंच सकते हैं। आप हर देश को बता दो, दूर की लड़ाई भी शुरू करें, अमेरिका से जहाज खरीदकर।
ट्रंप सर, इन देशों में जंग के कोई आसार नहीं हैं।
यस सेक्रेटरी, हमारा काम कितना मुश्किल है, देखो, पहले जंग के आसार पैदा करो। फिर जंग करवाओ, फिर सीजफायर करवाओ। बहुत मुश्किल है डैडी होना।
ट्रंप सर, बहुत से देश आपको डैडी नहीं मानते। ईरान आपको शैतान मानता है।
यस सेक्रेटरी बहुत बुरा वक्त आ गया है। कई बच्चे अपने बाप को शैतान मानते हैं। वक्त बहुत खराब आ गया है।
ट्रंप सर, देश बहुत बेईमान हो गये हैं, आपसे हथियार खऱीदे बिना ही युद्ध करने लगते हैं। सर, ऐसे युद्ध का क्या फायदा जिसमें अमेरिकन हथियारों का इस्तेमाल ना हो। युद्ध वही जो अमेरिकन हथियारों से लड़ा जाये। पाकिस्तान इधर चीन से भी हथियार लेता है। पाकिस्तान बहुत बदमाश मुल्क है, उसने दो डैडी बना लिये हैं। पाकिस्तान आपको भी डैडी कहता है और चीन को भी डैडी कहता है। पाकिस्तान के दो डैडी हैं।
यस सेक्रेटरी, दो डैडी वालों का कैरेक्टर हम अच्छा नहीं मानते। अगर पाकिस्तान कैश बेसिस पर हमसे हथियार लेता रहे, तो उसके पचास डैडी भी हों, तो हमें क्या मतलब। पर पाकिस्तान को हर चीज उधार पर चाहिए होती है।

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