हकीकत के पंखों से सच होगी ऊंची उड़ान, छुएंगे सातवां आसमान
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 9 जून
लगभग चार दशक बाद भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में नयी इबारत लिखी जाएगी। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन जाएंगे। वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जाने और शोध करने वाले पहले भारतीय के रूप में भी इतिहास रचेंगे। फिलहाल मौसम के साथ का इंतजार है। क्योंकि अभी मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए इसे 11 जून तक स्थगित कर दिया गया है।
प्रस्तावित अंतरिक्ष यात्रा के लिए शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन पर मिशन पायलट के रूप में काम करेंगे। इस प्रक्षेपण के साथ ही शुक्ला लगभग चार दशक बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। एक्सिओम-4 मिशन के पायलट शुक्ला के अलावा चालक दल के अन्य सदस्यों में पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी से टिबोर कापू और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन शामिल हैं।
प्रक्षेपण से पहले, चालक दल ने प्रक्षेपण दिवस की गतिविधियों का अभ्यास पूरा कर लिया। प्रस्तावित अपने 14-दिवसीय प्रवास के दौरान, अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करेंगे। एक बयान में, एक्सिओम ने कहा, ‘यह मिशन एक्सिओम मिशन पर अब तक की सबसे अधिक शोध-संबंधी गतिविधियों की मेजबानी करेगा, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए इसके वैश्विक महत्व और सहयोगी दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।’ अभियान के तहत भारत कई प्रयोग करेगा, जिनमें से कुछ नासा के साथ साझेदारी में होंगे। नासा के समर्थन से इसरो और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित ये प्रयोग लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक अग्रणी अंतरिक्ष पोषण और आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।