हंसी में छुपे हैं सेहत के राज़
हंसने से दिमागी तनाव कम हो जाता है। बॉडी में एंडोर्फिन और ऑक्सिटोसिन जैसे फील गुड हार्मोन रिलीज होते हैं। बॉडी को अच्छी फीलिंग आती है एड्रिनलिन स्ट्रेस हार्मोन भी कम हो जाते हैं। सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम शांत हो जाता है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। काम पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं। इसी विषय पर दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल की सीनियर फिजीशियन डॉ. रिचा दीवान से रजनी अरोड़ा की बातचीत।
अगर कहा जाए कि हंसी शारीरिक-मानसिक समस्याओं को सुलझाने, रिलेक्स होने और बैटरी रिचार्ज करने की ‘मूल चाबी’ है तो गलत नहीं होगा। हंसी ऐसी एक्टिविटी या व्यायाम है जो हमें रिलेक्स करती है। यह दुनिया की सबसे अच्छी दवा है जो उदासी, दु:ख, तनाव को दूर करके हमारी मानसिक-शारीरिक सेहत दुरुस्त करने में काफी मददगार है। हंसी तनाव पैदा करने वाले कॉर्टिसोल को कम करके रिलेक्स करने में मदद करती है। यह चेहरे और कोर मसल्स की एक्टिविटी है जिसमें अमूमन 10 से 12 मांसपेशियां शामिल होती हैं। हंसने की क्रिया में हमारा चेहरा, छाती, फेफड़े और दिल जैसे अंग शामिल होते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, हम जन्म के 3 महीने के बाद से ही हंसना शुरू कर देते हैं। कोई शख्स 10 मिनट की सामान्य बातों के दौरान अमूमन 7 से 10 बार हंसता है। लेकिन कई बार उसे इसका पता भी तक नहीं होता। महिलाएं पुरुषों की तुलना में 25-30 फीसदी ज्यादा हंसती हैं।
हंसी और इसके स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया के 70 से भी अधिक देशों में हर साल मई के पहले रविवार को विश्व हंसी दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत देश के लॉफ्टर योग आंदोलन के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया ने 1998 में की थी। इस दिन का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीने में हंसी के लाभों से अवगत कराना था। एक्सपर्ट हंसने की क्रिया को हास्य योग भी कहते हैं। अगर व्यक्ति अपना रोजमर्रा के बिजी शेड्यूल में से कुछ समय कॉमेडी फिल्में देखने, किताबें पढ़ने व दोस्तों के साथ बिताता है तो वह शारीरिक-मानसिक रूप से रिलेक्स हो पाता है और अधिक ऊर्जा के साथ दूसरे काम कर सकता है।
शरीर पर सकारात्मक प्रभाव
हंसने से दिमागी तनाव कम हो जाता है। जब हम हंसते हैं तो बॉडी में एंडोर्फिन और ऑक्सिटोसिन जैसे फील गुड हार्मोन रिलीज होते हैं। बॉडी को अच्छी फीलिंग आती है। स्ट्रेस लेवल कम होता है। एड्रिनलिन स्ट्रेस हार्मोन भी कम हो जाते हैं। सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम शांत हो जाता है। हंसी मजाक से आप अपने दिल-दिमाग के बोझ को कम करते हैं। खुश रहने से आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। काम पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं।
हार्ट रहता है हेल्दी
तनावग्रस्त रहने से हमारा हार्ट रेट भी बढ़ता है, बॉडी में सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव रहता है, हमारी बॉडी हमेशा उत्तेजित अवस्था या फाइट मोड में रहती है। जब हम हंसते हैं, तो सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम अपने आप रिलेक्स हो जाता है। हार्ट पर स्ट्रेस कम हो जाता है और हार्ट रेट कम हो जाता है। परेशानी में होने के बाद भी दिल की धड़कनें असामान्य नहीं होतीं। हम समस्याओं को सही तरीके से सुलझा पाते हैं। हमारे फील-गुड हॉर्मोंस इन्हें बैलेंस कर देते हैं। हंसी के दौरान ब्लड सर्कुलेशन 20 फीसदी तक तेज होता है, सांसें तेज होती हैं, हार्ट को पंप करने में भी यह मदद करता है, धड़कनें बढ़ती हैं, ऊर्जा की खपत होती है। हंसने से हमारा बीपी नॉर्मल होता है व हार्ट हेल्दी रहता है।
पाचन प्रणाली होती है दुरुस्त
एंग्जाइटी से हमारी पाचन प्रणाली प्रभावित होती है, जिससे पेट खराब होने की शिकायत रहती है। स्ट्रेस से पेट दर्द की शिकायत रहती है, कॉन्सटिपेशन भी हो सकती है। जितना व्यक्ति परेशान रहता है, तनाव में रहता है-पेट संबंधी समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं। हंसने से पाचन समस्याओं में आराम मिलता है।
स्किन करती है ग्लो
जब हम हंसते हैं तो पॉजिटिव हॉर्मोन बढ़ते हैं। हंसने से चेहरे की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है, जिससे मांसपेशियां अच्छी तरह काम करती हैं। ब्लड और ऑक्सीजन सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर
हंसने-हंसाने की आदत ब्रेन की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। दरअसल, हंसते समय ब्रेन से सेरोटोनिन हॉर्मोन का रिसाव तेज़ी से होने लगता है, जो दर्द, तनाव और उदासी को दूर करने में मददगार होता है। इतना ही नहीं जब हम किसी खुशमिज़ाज व्यक्ति के साथ हंसी-मज़ाक कर रहे होते हैं तो इससे ब्रेन के कॉग्नेटिव फील्ड (मस्तिष्क का यही हिस्सा चिंतन के लिए जिम्मेदार होता है) की सक्रियता बढ़ जाती है और नर्वस सिस्टम पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है।
अनिद्रा की समस्या होती है दूर
हंसना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्राकृतिक तरीके से जब हम हंसते, रिलेक्स होते हैं, स्ट्रेस लेवल या घबराहट कम होती है, नींद अच्छी आती है। हंसने से शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का स्राव बढ़ता है जो रात में सुकून की नींद दिलाने में मदद करता है।
आसपास का माहौल बनाती है खुशनुमा
घर-परिवार में सकारात्मक माहौल बनाने में भी हंसी सहायक है। हंसी संक्रामक होती है। एक ने हंसना शुरू किया तो उसे देखकर वजह जाने या बिना जाने दूसरा शख्स भी हंसने लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार हंसना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे आप सामाजिक बने रहते हैं और लोगों के साथ जुड़े रहने पर आपको तनाव या अवसाद जैसी समस्या नहीं सताती हैं।