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स्वीकार कीजिए खुद को

04:00 AM Feb 10, 2025 IST
स्वीकार कीजिए खुद को
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अनिता

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कारण अनेक हैं, लेकिन यह बात सही है कि आज के समय में मानसिक अवसाद और तनाव के मामले बहुत बढ़ रहे हैं। नौकरीपेशा लोगों से लेकर घर-गृहस्थी संभालने वालों के साथ-साथ बच्चों में भी अवसाद के कई मामले देखे गए हैं। यदि गहराई से देखें तो मन के सारे तनाव का मूल स्रोत व्यक्ति का असंतोष है। एक व्यक्ति सदा कुछ न कुछ और बनने की कोशिश करता रहता है। यानी जो उसके पास है उससे हटकर भी वह कुछ चाहता है। कहने का अर्थ है कि वह स्वयं जैसा है उसे स्वीकार नहीं करता, इसी कारण वह दूसरे के अस्तित्व को भी नकारता है। हमेशा उसका मन वर्तमान से हटकर किसी आदर्श स्थिति को पाने की कल्पना करता है। इसलिए तनाव सदा इस बात के कारण होता है कि वास्तव में वह क्या है और क्या बनना चाहता है। यानी जो अभी है, उससे हटकर कुछ चाहिए। जो है या तो वह पर्याप्त नहीं है, या फिर वह उस मानक के अनुरूप नहीं है, जैसा वह चाहता है।
दरअसल, व्यक्ति के पास जो आज है, वह उससे क़तई खुश नहीं है और वह कुछ और पाना चाहता है, जो नहीं है। मन का स्वभाव ही द्वंद्वात्मक है, मन स्वयं का विरोधी है। किसी भी बिंदु पर अपने स्वभाव के कारण मन एकमत नहीं होता। यह हमेशा बंटा हुआ होता है। अगर व्यक्ति मन की बात मानकर एक काम करता है तो मन का दूसरा हिस्सा कहता है, यह काम सही नहीं था। अगर वह इस हिस्से की बात सुने, तो दूसरा हिस्सा कहता है, यह अस्थिरता ठीक नहीं है। मन न इस तरफ रहने देता है, न ही उस तरफ। व्यक्ति अपने भीतर सदा एक सवाल का सामना करता है और उसकी सारी शक्ति अपने भीतर के इस तनाव से स्वयं को बचाने में ही खर्च होती रहती है।
इस तनाव से बचाने का उपाय है, व्यक्ति स्वयं को जैसा वह है, पूर्ण रूप से स्वीकार करे। जब कोई ख़ुद को स्वीकारता है तभी दूसरों को भी, जैसे वे हैं, स्वीकार सकता है। इससे उसके भीतर बहुत-सी ऊर्जा बच जाती है, जिसका उपयोग वह अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए कर सकता है। जानकार कहते हैं कि यदि व्यक्ति जैसा है, उसे स्वीकार कर ले। कुंठाग्रस्त न रहे और ऐसी चीजों को सीखने की ललक रहे जिससे उसका सर्वांगीण विकास हो तो फिर अवसादग्रस्त होने की स्थिति में काफी हद तक बचा जा सकता है। यदि अवसाद खुद में नहीं होगा तो वह व्यक्ति स्वयं, परिवार, समाज और देश के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा और ऐसा व्यक्ति कभी भी नकारात्मक नहीं हो सकता।
साभार : अमृता-अनिता डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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