स्पर्श से नया जीवन
वर्ष 1887 में, मात्र 20 वर्ष की आयु में एनी सुलिवन को 7 वर्षीया हेलेन केलर की शिक्षिका नियुक्त किया गया। हेलेन न देख सकती थीं, न सुन सकती थीं, और न ही बोल सकती थीं। इस कारण उनका व्यवहार आक्रामक और अस्थिर हो गया था, क्योंकि वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट चुकी थीं। एनी ने हार नहीं मानी। उन्होंने हेलेन को स्पर्श के माध्यम से सिखाने का प्रयास किया — हेलेन के हाथ पर अक्षर बनाकर उन्हें चीज़ों के नाम समझाने की कोशिश की। शुरू में हेलेन को कुछ भी समझ नहीं आया। लेकिन एक दिन, जब एनी ने एक हाथ में पानी डाला और दूसरे हाथ पर ‘वाटर’ लिखा, तब पहली बार हेलेन को यह समझ आया कि हर चीज़ का एक नाम होता है। यह क्षण उनके जीवन का मोड़ बन गया। इसके बाद हेलेन ने न केवल बोलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी उत्कृष्टता हासिल की। वे दृष्टि और श्रवण बाधित होने के बावजूद कॉलेज की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली व्यक्ति बनीं। आगे चलकर वे एक प्रसिद्ध लेखिका, प्रेरक वक्ता और समाजसेवी बनीं।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार