स्टॉक में लगाया सरकारी गेहूं सीएम फ्लाइंग की जांच में मिला कम
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 10 जून
कुंजपुरा करनाल स्थित खाद्य आपूर्ति विभाग के गोदाम में रखा गेहूं का स्टॉक कम पाया गया, स्टॉक से करीब 790 क्विंटल गेहूं गायब होने का पता उस वक्त लगा, जब मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने डीएसपी सुशील कुमार के नेतृत्व में गोदाम का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई खामियां पाई गई। जांच का दायरा बढ़ाते हुए सीएम फ्लाइंग ने 3 दिनों तक पूरा रिकार्ड खंगाला। गेहूं के स्टॉक का बारीकी से निरीक्षण किया, जांच में निकलकर आया कि स्टॉक में 790 क्विंटल गेहूं कम है, जिसकी बाजार में कीमत करीब 19 से 20 लाख रुपये बनती है।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के डीएसपी सुशील कुमार ने बताया कि खाद्य आपूर्ति विभाग के गोदाम में जांच की गई थी, जांच में करीब 790 क्विंटल गेहूं कम पाया गया। इसके अलावा भी कई कमियां मिली है, पूरी रिपोर्ट बनाकर खाद्य आपूर्ति विभाग के डीएफएससी को भेज दी है। सीएम फ्लाइंग द्वारा आगामी कार्रवाई की जा रही है। खाद्य आपूर्ति विभाग के गोदाम में अगर मुख्यमंत्री उड़नदस्ता औचक निरीक्षण न करता तो गेहूं के स्टॉक से गेहूं गायब हो रहा है, इसका पता ही नहीं चल पाता। सवाल उठ रहा है कि डीएफएससी करनाल की क्या जिम्मेदारी बनती है? उनको क्यों जानकारी नहीं लग पाई कि विभाग का इंसपेक्टर गेहूं के स्टॉक से गेहूं को गायब कर रहा है या निर्धारित जगह से दूसरी जगह भेज रहा है। डीएफएससी द्वारा इंसपेक्टर को नोटिस जारी करने की बात की जा रही है। इस बारे में खाद्य आपूर्ति विभाग के डीएफएससी अनिल से संपर्क किया तो उन्होंने जवाब नहीं दिया।
गेहूं के स्टॉक कम होने के कई मायने
सूत्रों की मानें तो गेहूं के स्टॉक कम होने के पीछे कई मायने होते हैं। गेहूं गायब कर आर्थिक लाभ उठा लिया जाता है और बचे स्टॉक पर पानी मारकर वजन बढ़ाकर कम गेहूं को पूरा करने का षडय़ंत्र किया जाता है। इस खेल में कोई एक शामिल न होकर बहुत से लोग शामिल होते हैं। ऐसा इसलिए हो पाता है कि विभाग और सरकार द्वारा सरकार को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, अगर होती है तो सम्बधित इंसपेक्टर के खिलाफ केस कर दिया जाता है, जबकि होना तो यह चाहिए कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, जिस पर सरकारी गेहूं के स्टॉक की चैकिंग व जांच का जिम्मा भी होता है, उसके खिलाफ भी सरकार द्वारा कार्रवाई करनी चाहिए।