सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बनाएं चमकता कैरियर
देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन भी तेजी से होगा। ऐसे में सोलर इंजीनियरिंग कैरियर का संभावनाशील क्षेत्र है जिसके लिए इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सॉफ़्टवेयर इंजीनियर्स पेशेवर डिमांड में रहेंगे।
अशोक जोशी
दुनियाभर में ऊर्जा के उपलब्ध स्रोत दिन-प्रतिदिन समाप्त होते जा रहे हैं। सरकारें वैकल्पिक स्रोतों पर निगाहें लगाए हुए हैं। ऊर्जा के इन वैकल्पिक स्रोतों में सौर ऊर्जा का महत्व अत्यधिक बढ़ा है। भारत जैसे देश जहां सूरज सबसे ज्यादा समय तक उपलब्ध है सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकता है और कर भी रहा है। भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए तरह-तरह की योजनाएं आरम्भ कर उपभोक्ताओं को बहुत सबसिडी देने का प्रयास किया है। सौर ऊर्जा न केवल ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है बल्कि कैरियर निर्माण के लिए भी एक अच्छा विकल्प है।
सोलर इंजीनियरिंग में कैरियर बनाने का मतलब है, सूरज की रोशनी से बिजली पैदा करने वाली प्रणालियों को डिज़ाइन करना, उनका निर्माण करना और रखरखाव भी करना। सोलर इंजीनियरिंग में कैरियर बनाने के लिए इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, केमिकल और सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल करनी होती है।
क्या करते हैं सोलर इंजीनियर्स?
सोलर इंजीनियर्स सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग, डिजाइन तथा उसका कार्यान्वयन करते हैं। वह घर की छत पर लगाए जाने वाले रूफ टॉप इंस्टालेशन से लेकर बड़े प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने तक के सभी काम करते हैं। उनका काम क्लाइंट कंसल्टेशन, साइट असेसमेंट्स तथा फाइनेंशियल असेसमेंट से आरम्भ होता है। जो उन्हें प्रोजेक्ट्स को समझने में मदद करते हैं। इसी के आधार पर सोलर इंजीनियर्स सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर उचित योजना तैयार करते हैं। वह योजना के कार्यान्वयन पर भी नजर रखते हैं। प्रोजेक्ट के सही समय पर पूरा होने से लेकर लागत में कमी तक सारा काम इन्हीं के द्वारा संचालित किया जाता है। इतना ही नहीं, वित्तीय विश्लेषण से लेकर रेगुलेटरी आवश्यकताओं को पूरा करने तक में भी वे महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं। इसके लिए उनमें शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ कम्प्यूटर डिजाइनिंग तथा फोटोवोल्टिक सिस्टम्स की टेस्टिंग का ज्ञान भी होना आवश्यक है।
संभावनाएं और आय
दुनिया के सभी देश रीन्यूएबल एनर्जी पर अपनी निर्भरता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। पारंपरिक ऊर्जा जैसे पेट्रोल, गैस आदि का तेजी से दोहन हो रहा है, वहीं इनकी कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में सौर ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी की तरफ आकर्षण बढ़ रहा है। सौर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण को होने वाले फायदे देखते हुए आजकल सोलर पॉवर जेनरेशन बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस फील्ड में कैरियर एक शानदार विकल्प है। कमाई भी अच्छी है।
कैसे बनाएं सोलर एनर्जी में कैरियर
अधिकांश सोलर इंजीनियर्स आमतौर पर उनके ऑफिस में ही काम करते हैं। लेकिन उन्हें अलग-अलग कार्य स्थल के साथ-साथ विदेशों की यात्रा भी करनी पड़ती है। ऊपर चढ़ने जैसे जोखिमपूर्ण काम भी करने होते हैं। भारत में अब सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, अगले साल तक हमारे देश में तीन से पांच लाख कर्मियों की आवश्यकता होगी। इससे स्थानीय लोगों तथा मजदूरों को भी रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे। भारत के सोलर इंजीनियर अपनी विशेषता के आधार पर विदेशों में भी बेहतर संभावनाएं खोज सकते हैं। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में हो रहे विकास के साथ युवाओं के लिए कैरियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। लगातार नई तकनीक आ रही हैं। ऐसे में आप सोलर एनर्जी के क्षेत्र में शाइनिंग कैरियर बना सकते हैं। पिछले एक दशक में सोलर इंडस्ट्री में सैकड़ों-हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कैरियर की शुरुआत में पेशेवर को 6-15 लाख रुपये तक का पैकेज मिलता है। सरकारी क्षेत्र की तुलना में निजी क्षेत्र का वेतन पैकेज ज्यादा है। अनुभवी पेशेवर महीने में डेढ़-दो लाख रुपये कमा लेते हैं।
आवश्यक योग्यता
सोलर एनर्जी में कैरियर बनाने के लिए उम्मीदवार का मैथ्स, केमिस्ट्री और फिजिक्स विषयों के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसके बाद मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री ले सकते हैं। सोलर इंजीनियर बनने के लिए केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, सिविल इंजीनियरिंग या इससे संबंधित विषयों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। इस फील्ड में तरक्की के लिए एनर्जी पॉलिसी सोलर एनर्जी एंड फोटोवॉल्टिक, रिन्यूएबल एनर्जी और जियोथर्मल एनर्जी में मास्टर कोर्स करना सही है।
इसके लिए कई कोर्स उपलब्ध हैं जिनमें एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम पास करना जरूरी है। आईआईटी,एनआईटी जैसे टॉप इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश लेने के लिए जेईई की परीक्षा देनी होगी। इसके बाद बीएससी इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बीई व बीटेक इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन एमई व एमटेक इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, एमएससी इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बीटेक सोलर एंड अल्टरनेटिव एनर्जी और एमटेक इन रिन्यूएबल एनर्जी कोर्स कर सकते हैं। कुछ संस्थानों में पोस्ट ग्रेजुएट लेवल के एनर्जी मैनेजमेंट आदि कोर्स चलाए जाते हैं।
संबंधित पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण संस्थान
वैसे तो देश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में सोलर इंजीनियरिंग के कोर्स चलाए जाते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण संस्थान हैं- आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी जोधपुर, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, उत्तराखंड, नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी, एनआईटी कालीकट, आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, ठाणे, महाराष्ट्र।