सुर ताल के बीच कूची की रंगत
संकट मोचन संगीत समारोह से जुड़ी कला वीथिका वाराणसी की एक अनूठी पहल है। प्रो. विशम्भकर नाथ मिश्र की प्रेरणा से शुरू हुई यह वीथिका, डॉ. विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में कलाकारों और दर्शकों को सीधे संवाद का अवसर देती है। यहां मूर्तिकला, चित्रकला, फोटोग्राफी और लाइव पेंटिंग के जरिए कला को जीवंत किया जाता है।
राजेन्द्र शर्मा
वाराणसी के ऐतिहासिक संकट मोचन मंदिर के 13वें महंत और संकट मोचन संगीत समारोह के संयोजक प्रो. विशम्भकर नाथ मिश्र हमेशा कुछ नया कर गुजरने की सोच रखते हैं। उन्हें यह विचार आया कि वाराणसी न केवल संगीत के लिए, बल्कि ललित कलाओं के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। विख्यात चित्रकार एम.एफ. हुसैन, राम कुमार, शंखो चौधरी, दिनेश प्रताप सिंह, लतिका आदि ने बनारस में रहकर यहां के घाटों पर अपनी कला को उकेरा है। इसी सोच के तहत उन्होंने संकट मोचन संगीत समारोह में कला वीथिका को जोड़ने का निर्णय लिया और इसकी ज़िम्मेदारी अपने अनुज डॉ. विजय नाथ मिश्र को सौंपी।
वर्ष 2014 से संकट मोचन संगीत समारोह के साथ-साथ मंदिर परिसर में ही कला वीथिका का आयोजन डॉ. विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस क्रम में इस वर्ष कला वीथिका का यह ग्यारहवां आयोजन था।
ग्यारह वर्षों में यह वीथिका संकट मोचन संगीत समारोह का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है और मंदिर परिसर के मुक्ताकाश में आयोजित इस कला वीथिका ने अनूठे आयाम स्थापित किए हैं। यहां बड़े कलाकारों से लेकर नवोदित कलाकारों की कलाकृतियां एक साथ प्रदर्शित होती हैं। दर्शकों की मानें तो मंदिर परिसर में आयोजित यह कला वीथिका देश का पहला ऐसा आयोजन है, जहां कला समीक्षकों, कलाकारों के अलावा आम दर्शक भी सीधे कलाकारों और उनकी कृतियों से संवाद स्थापित कर पाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति कलाकारों के लिए एक नवीन चेतना, प्रेरणा और प्रोत्साहन का कार्य करती है।
पहले आयोजन में मूर्तिकार राजेश कुमार की मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका उद्घाटन संतूर सम्राट पंडित शिव कुमार शर्मा ने किया। दूसरे वर्ष पूर्व निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी प्रस्तुत की गई। वर्ष 2016 में चित्रों के साथ-साथ ललित कला की अन्य विधाओं जैसे फोटोग्राफी, मुखौटे आदि को भी प्रदर्शित किया गया।
इस वर्ष एस. प्रणाम सिंह, वेद प्रकाश मिश्रा, विजय सिंह, प्रो. डी.पी. मोहंती, डॉ. सुनील विश्वकर्मा, अनिल शर्मा, डॉ. राहुल सिंह, शारदा सिंह, डॉ. सुनील कुशवाहा, पूर्णचंद उपाध्याय, डॉ. गरिमा रानी, एस.के. नाग और बलदाऊ आदि जैसे चर्चित कलाकारों ने लाइव पेंटिंग कर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया।
इस लाइव पेंटिंग की गूंज काशी से बाहर देशभर में सुनाई दी और अन्य शहरों में रहने वाले चित्रकार भी कला वीथिका से जुड़ते चले गए। वर्ष 2017 में इस दीर्घा में नवाचार की शुरुआत हुई। बनारस के पांच भारत रत्नों की मूर्ति एक ही आधार पर बनाई गई। इसी वर्ष पहली बार काशी की सौ प्रसिद्ध हस्तियों के चित्र 'शत विभूति' नामक एक विशाल कैनवास पर कई चित्रकारों ने मिलकर बनाए। वर्ष 2018 में सौ दिवंगत प्रसिद्ध चित्रकारों की पेंटिंग्स का कोलाज तैयार किया गया, वहीं 2019 में देश के सौ अमर शहीदों को एक ही कैनवास पर चित्रित किया गया।
लॉकडाउन के दौरान भी जब संगीत समारोह का डिजिटल संस्करण आयोजित किया गया, तब कला वीथिका का आयोजन भी डिजिटल माध्यम से किया गया। संगीत समारोह के शताब्दी आयोजन के अवसर पर स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लाइव कला प्रतियोगिता शुरू की गई, जिसमें उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है। इस बार भी मंदिर परिसर में डॉ. विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में कला वीथिका पूरी भव्यता और नवीन प्रयोगों के साथ सुसज्जित है।
संकट मोचन संगीत समारोह में कला वीथिका एक ऐसा आयाम जोड़ती है, जो पूरे समारोह को और भी मनोरम बना देती है। इसमें विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों के साथ-साथ भगवान हनुमान के विविध स्वरूपों को भी प्रदर्शित किया जाता है। सुरों के प्रेमियों को जहां सुरों की गंगा में गोते लगाने का अवसर मिलता है, वहीं कला प्रेमी कलाकारों की अद्भुत रचनाओं को निहारने का सौभाग्य पाते हैं — इससे अधिक और क्या चाहिए!
कला वीथिका के अब तक के आयोजनों में अनिल शर्मा, राजेश कुमार, डॉ. सुनील विश्वकर्मा, राहुल सिंह और उदय प्रताप पॉल की महती भूमिका रही है। आशा है कि संकट मोचन संगीत समारोह की ही भांति कला वीथिका भी कला-जगत में एक नया और बड़ा मुकाम स्थापित करेगी।