नयी दिल्ली, 6 जुलाई (एजेंसी)सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए यहां कृष्ण मेनन मार्ग स्थित भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) के आधिकारिक आवास को खाली कराने के लिए केंद्र को पत्र लिखा है। उसने कहा है कि पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ वहां निर्धारित अवधि से अधिक समय से रह रहे हैं।सूत्रों ने बताया कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को एक जुलाई को भेजे गए पत्र में शीर्ष अदालत प्रशासन ने कहा कि वर्तमान सीजेआई के लिए निर्दिष्ट आवास खाली करा दिया जाए और उसे अदालत के आवास पूल में वापस कर दिया जाए। पत्र में मंत्रालय के सचिव से बिना किसी देरी के पूर्व सीजेआई से बंगले का कब्जा लेने का अनुरोध किया गया है।सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत, सीजेआई सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए टाइप-7 बंगला रख सकते हैं। नवंबर 2022 से नवंबर 2024 के बीच 50वें सीजेआई रहे जस्टिस चंद्रचूड़ सेवानिवृत्ति के लगभग आठ महीने बाद भी चीफ जस्टिस के आधिकारिक आवास पर रह रहे हैं।जस्टिस चंद्रचूड़ ने पिछले साल 18 दिसंबर को उन्होंने तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उन्हें 30 अप्रैल 2025 तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में रहने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा था कि उन्हें 2022 के नियमों के अनुसार तुगलक रोड पर बंगला नंबर 14 आवंटित किया गया है, लेकिन नये आवास पर नवीनीकरण का काम हो रहा है। तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने मंजूरी दे दी थी। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने 31 मई 2025 तक के लिए मौखिक अनुरोध किया, जिसे तत्कालीन सीजेआई ने इस शर्त के साथ मंजूरी दे दी कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के एक जुलाई के पत्र में समयसीमा और कानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन की ओर संकेत किया गया है। इसमें कहा गया है कि कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास को 'विशेष परिस्थितियों' के कारण अनुमति दी गई थी, तथा यह सहमति बनी थी कि मई के अंत तक इसे खाली कर दिया जाएगा।एक देश, एक चुनाव के पक्ष मेंएक साथ चुनाव का प्रावधान करने वाले विधेयक को लेकर गठित संसदीय समिति को पहले ही अपने विचार से अवगत करा चुके भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ओएनओई) की अवधारणा की संवैधानिकता का समर्थन किया है। भारत के सीजेआई रह चुके जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने संयुक्त संसदीय समिति को सौंपी अपनी राय में विपक्ष की इस आलोचना को खारिज कर दिया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव का एक साथ होना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। दो पूर्व सीजेआई, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रंजन गोगोई भी इस संबंध में अपने विचार दे चुके हैं।