सामान का रंग उड़ने पर लें मुआवजा
यदि किसी प्रॉडक्ट का रंग खरीदने की गारंटी अवधि में उतर जाये या फीका पड़ जाये तो उसे बदलना विक्रेता की जिम्मेदारी है। यदि ऐसा करने में वह आनाकानी करे तो पीड़ित ग्राहक शिकायत लेकर उपभोक्ता आयोग में जाकर मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
श्रीगोपाल नारसन
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सांगवान सिटी निवासी एक महिला द्वारा खरीदी गई कार का रंग कुछ दिनों में ही फीका पड़ गया। जिसे लेकर उनके द्वारा एक शिकायत उपभोक्ता आयोग में की गई। उपभोक्ता आयोग के न्यायाधीश अध्यक्ष हसनैन कुरैशी व सदस्य आलोक उपाध्याय द्वारा संयुक्त रूप से सुनाए गए फैसले में निर्णय दिया गया कि वारंटी अवधि में कार का रंग फीका पड़ना उपभोक्ता सेवा में कमी है, इसके लिये कंपनी उपभोक्ता महिला को नई कार उपलब्ध कराये या फिर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के साथ कार की कीमत का भुगतान उपभोक्ता को करे। साथ ही 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व 10 हजार वाद व्यय हर्जाना भुगतान तीस दिन के अंदर करने का आदेश दिया गया।
टीशर्ट का रंग उड़ा तो...
इसी प्रकार छत्तीसगढ़ स्थित कोरबा में एक दुकान से बच्चे के लिए खरीदी गयी स्कूल यूनिफार्म की टी शर्ट घटिया क्वालिटी की निकली। इस पर उपभोक्ता ने दुकान पर जाकर उक्त बाबत शिकायत की। लेकिन दुकानदार ने उपभोक्ता की शिकायत को अनसुना कर दिया। परेशान उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई, तब जाकर उपभोक्ता को न्याय मिल पाया। उपभोक्ता ने अपने बच्चे के लिए खरीदी गई नई यूनिफार्म घर लाकर जैसे ही धोने के लिए इस पानी में भिगोई तो उसका रंग उड़ गया, जिससे परेशान उपभोक्ता ने दूसरे ही दिन दुकानदार के पास जाकर उक्त बाबत शिकायत की और उसके बदले दूसरी यूनिफॉर्म देने का दुकानदार से निवेदन किया, लेकिन दुकानदार ने साफ मना कर दिया। उपभोक्ता ने मामले की शिकायत उपभोक्ता आयोग में दर्ज कराई। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद उपभोक्ता आयोग ने दुकानदार को उपभोक्ता सेवा में कमी के लिए दोषी पाया। मामले ये था कि कोरबा में नर्सिंग गंगा कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति ने खराब यूनिफॉर्म टी शर्ट बेचने पर दुकानदार द्वारा उसके बदले दूसरी टी शर्ट नहीं दी गयी। जबकि पहली धुलाई के बाद ही टी शर्ट का रंग उतर गया, दुकानदार ने उपभोक्ता कह दिया कि वह निर्माता नहीं, केवल बेचने वाला है। उपभोक्ता आयोग ने 340 रुपए की टी शर्ट के एवज में 5340 रुपए का भुगतान करने का आदेश दुकानदार को दिया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग कोरबा की अध्यक्ष व दो सदस्यों ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के एवज में 3000 रुपए, वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपए उपभोक्ता विधिक सहायता के खाते में एक हजार रुपए के साथ टी शर्ट की कीमत 340 रुपए 30 दिन के भीतर जमा करने आदेश दिया है। ऐसा नहीं करने पर 6 प्रतिशत ब्याज देने का आदेश भी दिया गया है।
शूज़ का रंग पड़ा फीका
ऐसे ही एक मामले में चंडीगढ़ में एक व्यक्ति ने एक शोरूम से ब्रांडेड जूता खरीदा लेकिन 20 दिन बाद ही उसका रंग फीका पड़ने लगा। जिसे लेकर शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला उपभोक्ता आयोग पहुंचा तो शोरूम को सेवा में कमी का दोषी पाया गया। उपभोक्ता आयोग ने निर्देश दिए कि वह शिकायतकर्ता को जूते की कीमत दो हजार रुपये की राशि वापस करे, साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए शिकायतकर्ता को दो हजार रुपये का मुआवजा और 2100 रुपये मुकदमा खर्च के रूप में भी अदा करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, दुकानदार उक्त राशि शिकायतकर्ता को अदा करने के बाद शिकायतकर्ता से शूज़ वापस ले सकता है।
टाइल्स हुई बदरंग
इसी तरह लुधियाना के जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में एक नामी टाइल्स कंपनी व उसके डिस्ट्रीब्यूटर पर 10 हजार का हर्जाना लगाया गया है। उन्होंने एक उपभोक्ता को गलत सामान बेचा था। साल 2023 में पीड़ित ग्राहक ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी कि उसने दिल्ली स्थित एक बड़ी कंपनी से अपनी दुकान पर टाइल्स लगवाने के लिए मंगवाई थी। जिसका आर्डर फिरोजपुर रोड के पास स्थित गांव में डिस्ट्रीब्यूटर को दिया था। आर्डर के मुताबिक कुछ दिनों के बाद उसकी दुकान पर टाइल्स लगा दी गई। लेकिन तीन दिन बाद ही उनका रंग खराब हो गया। शिकायतकर्ता ने कंपनी को इसकी जानकारी दी। कंपनी की तरफ से डिस्ट्रीब्यूटर को समस्या का हल करने के लिए कहा गया, लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ने कोई कार्यवाही नहीं की, जिसके बाद मामला उपभोक्ता अदालत में पहुंचा और पीड़ित को खराब टाइल्स के बदले मुआवजा मिल पाया।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।